चोरी के आरोपित को पेशी के लिए कोर्ट ले गयी थी कौआकोल पुलिस
प्रतिनिधि, नवादा कार्यालय.
जिले में एक बार फिर पुलिस अभिरक्षा से अभियुक्त के फरार होने का मामला सामने आया है. इस बार लापरवाही कौआकोल थाना की पुलिस ने बरती है, जहां 24 वर्ष पुराने एक केस में गिरफ्तार वारंटी व्यवहार न्यायालय में पेशी के दौरान पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया. फरार वारंटी की पहचान कौआकोल थाना क्षेत्र के कदहर गांव निवासी रविंद्र सिंह के पुत्र राकेश सिंह के रूप में हुई है. उसके खिलाफ वर्ष 2001 में घर में घुस कर चोरी करने के आरोप में कांड संख्या 18/2001 दर्ज की गयी थी. फरार वारंटी विगत कई वर्षों से न्यायालय से फरार चल रहा था. इसके बाद माननीय न्यायालय की ओर से राकेश सिंह के खिलाफ वारंट जारी किया गया. वारंट जारी होते ही काफी मशक्कत के बाद कौआकोल थाना की पुलिस ने फरार वारंटी राकेश सिंह को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेशी के लिए हथकड़ी लगाकर पुलिस अभिरक्षा में भेजा था. वहां वारंटी राकेश सिंह पुलिस को चकमा देकर हाथों से हथकड़ी निकाल नौ दो ग्यारह हो गया. फरार होने वाले वारंटी की धड़पकड़ को लेकर पुलिस देर रात तक शहर और संभावित ठिकानों की खाक छानती रही. लेकिन, राकेश सिंह की बरामदगी देर रात तक नहीं हो सकी. इसके बाद बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल के सिपाही अमित काजी ने नगर थाना पहुंच कर वारंटी राकेश सिंह के खिलाफ पुलिस अभिरक्षा से फरार हो जाने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करायी है.बता दें कि बीते मई माह में पुलिस अभिरक्षा से फरार होने का यह दूसरा मामला प्रकाश में आया है. इससे पूर्व नौ मई को भी उत्पाद पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर एक आरोपित फरार हो गया था. शराब मामले में गिरफ्तार कोडरमा निवासी शराब धंधेबाज हाजत में बेहोश होने की नौटंकी कर पहरा में रहे जवान को चकमा देकर थाना की चहारदीवारी को फांद फरार हो गया था. शनिवार को कौआकोल थाना की पुलिस के अभिरक्षा से वारंटी राकेश सिंह के फरार हो जाने के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान उठना शुरू हो गया है.
चौकीदार और होमगार्ड के भरोसे पेशी
विधि अनुकूल किसी भी अभियुक्त को न्यायालय में प्रस्तुत करने के लिए एक जिम्मेवार अधिकारी को प्रतिनियुक्त किये जाने का प्रावधान निहित है. बावजूद सोशल मीडिया पर अक्सर पाया जाता है कि चौकीदार व होमगार्ड के जवान लापरवाहीपूर्ण तरीके से आरोपितों को न्यायालय में उपस्थापन के लिए पहुंचाते हैं. आरोपितों के हाथों में हथकड़ी रहती है, लेकिन रस्सी पकड़ के चलने से परहेज कर पुलिसकर्मी रस्सी भी लपेट कर अभियुक्तों को ही थमा देते हैं. साथ ही परिजनों से मुलाकाती के समय या फिर नाश्ता-पानी के वक्त भी बड़े पैमाने पर लापरवाही देखने को मिलती रही है.
पुलिस अभिरक्षा से फरार आरोपित
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