गोपालगंज. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गोपालगंज वासियों को एक बड़ी सौगात दी. उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से 249 करोड़ रुपये की लागत से बने 2.75 किलोमीटर लंबे फोरलेन एलिवेटेड कॉरिडोर का उद्घाटन कर राष्ट्र को समर्पित किया.
एनएच-27 पर बंजारी से अरार मोड़ तक बना यह एलिवेटेड कॉरिडोर
यह कॉरिडोर पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वाकांक्षी इस्ट-वेस्ट कॉरिडोर परियोजना का हिस्सा है, जिसे स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के तहत विकसित किया गया था. इस अवसर पर बिहार सरकार के मंत्री जनक राम, गोपालगंज के सांसद एवं जेडीयू के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ आलोक कुमार सुमन, एमएलसी राजीव कुमार, विधायक कुसुम देवी समेत बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता उपस्थित थे. गोपालगंज में एनएच-27 पर बंजारी से अरार मोड़ तक यह एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया गया है, जिसका निर्माण लंबे समय से अधर में था. करीब एक दशक तक काम रुका रहा, लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद परियोजना को पुनः गति मिली. सांसद, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधियों की पहल से कार्य तेज हुआ और परियोजना पूरी हो गयी.
सांसद ने पीएम का जताया आभार
सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताते हुए कहा कि यह कॉरिडोर न सिर्फ यातायात व्यवस्था को बेहतर बनायेगा, बल्कि चार दर्जन से अधिक गांवों को सीधा लाभ मिलेगा. यह परियोजना गोपालगंज के लिए विकास का एक नया अध्याय साबित होगी और आने वाले वर्षों में यह कॉरिडोर शहर के आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक विकास में मील का पत्थर बनेगा. इस कॉरिडोर के उद्घाटन के साथ ही अटल जी के अधूरे सपनों को नयी उड़ान मिली है. वहीं गोपालगंज की जनता को एक बड़ी सौगात मिली है.
कॉरिडोर बनने से जाम से मिलेगी निजात
कॉरिडोर के निर्माण से शहर को जाम की समस्या से राहत मिलेगी और यातायात व्यवस्था सुगम होगी. साथ ही, गोपालगंज शहर के विकास को नयी दिशा मिलेगी. इस कॉरिडोर के नीचे दोनों ओर टू लेन की दो सड़क और अंडरपास का निर्माण भी किया गया है. सड़क के किनारे नाला निर्माण का भी कार्य किया गया, जिससे जलनिकासी की समस्या से निजात मिलेगी.
भारत का दूसरा सबसे लंबा राजमार्ग है एनएच-27
एनएच-27 भारत का दूसरा सबसे लंबा राजमार्ग है, जो गुजरात के पोरबंदर से असम के सिलचर तक फैला हुआ है. यह लगभग 3,507 किलोमीटर लंबा है और भारत का दूसरा सबसे लंबा राजमार्ग है. गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार में गोपालगंज, मोतिहारी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, झंझारपुर, सुपौल, फारबिसगंज, अररिया, पूर्णिया और किशनगंज आदि इलाकों से होकर, पश्चिम बंगाल और असम राज्यों से होकर गुजरता है.
स्वर्णिम चतुर्भुज क्यों कहलाता है एनएच-27
एनएच-27 को स्वर्णिम चर्तुभुज कहा जाता है. वर्ष 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी ने देश के चार बड़े महानगरों दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को चार से छह लेन वाले राजमार्गों के नेटवर्क से जोड़ने की एक योजना बनायी. मैप पर देखे जाने पर यह राजमार्ग चतुर्भुज आकार का दिखता है और शायद इसी कारण इसे स्वर्णिम चतुर्भुज कहा गया. गोपालगंज शहर में इसे नरेंद्र मोदी की सरकार ने कॉरिडोर का रूप दिया है.
जाम से मिलेगी राहत, एनएच 27 पर बढ़ेगी रफ्तार
कॉरिडोर में 1860 मीटर का फ्लाइओवर और 990 मीटर सड़क शामिल है. इसके चालू हो जाने से गोपालगंज शहर में जाम की समस्या से राहत मिलेगी और हाइवे पर वाहनों की रफ्तार में इजाफा होगा. गोपालगंज जिले में 55 किलोमीटर लंबे एनएच-27 खंड को फोरलेन में बदला गया, जिससे क्षेत्र में आवागमन और सुविधाओं में सुधार हुआ. यह एलिवेटेड कॉरिडोर न केवल एक बुनियादी ढांचे की उपलब्धि है, बल्कि यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विकास दृष्टिकोण का प्रतीक भी है.
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