गोपालगंज. बिहार में गंडक व कोशी सर्वाधिक कटाव करती है. दोनों नदियां हिमालय के नेपाल के पहाड़ों से निकलती हैं. गंडक नदी की बाढ़ को रोकने के लिए जलसंसाधन विभाग की ओर से बचाव कार्य युद्ध स्तर पर शुरू हो गया है. बांध के अलावा विशंभरपुर में कैंप कार्यालय का भी निर्माण पर सरकार का 3.5 करोड़ का खर्च हो रहा है.
क्षतिग्रस्त स्पॉट को चिह्नित कर किया जा रहा रिस्टोर
यूपी के बॉर्डर अहिरौली दान से विशुनपुर के बीच बने गाइड बांध को सुरक्षित करने के लिए गैबियन, बेडवार व पार्कुपाइन से मजबूत किया जा रहा. पिछले बार आयी बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त स्पॉट को चिह्नित कर उसे रिस्टोर व मरम्मत का काम हो शुरू हो गया है. अभियंताओं की टीम यहां कैंप कर बचाव कार्यों को करा रही है. बीच-बीच में एक्सपर्ट व बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्ष भी निरीक्षण कर रहे. बांध पर बचाव कार्य के 15 मई तक काम को पूरा कराने की चुनौती भी होगी. यहां के बचाव कार्य शुरू होने से लाखों की आबादी को काफी राहत मिलेगी.
विशंभरपुर में कैंप कार्यालय से आसान होगी मॉनीटरिंग
जल संसाधन विभाग ने विशंभरपुर में स्थायी कैंप कार्यालय का निर्माण करा रही है. कैंप कार्यालय के साथ आराम करने के लिए कमरा, शौचालय, बाथरूम का भी निर्माण हो रहा है, जिससे बाढ़ के दिनों में वरीय अधिकारी भी यहां से रुक कर मॉनीटरिंग कर सकें. कार्यालय में इंटरनेट से जुटा रहेगा. यहां से बाढ़ की अपडेट रिपोर्ट लेने व विभाग को भेजना भी आसान होगा. साथ ही आम लोगों को भी अलर्ट करना आसान होगा.
छह प्रखंडों में हर साल होती रही है तबाही
जिले के छह प्रखंड कुचायकोट, सदर, मांझा, बरौली, सिधवलिया व बैकुंठपुर की 3.64 लाख की आबादी बाढ़ के खतरे में रहती है. लोगों के जान-माल का खतरा बना रहता है. साल- दर-साल बाढ़ से दियारे के लोग बर्बाद होते रहे हैं. इस बर्बादी को रोकने के लिए जल संसाधन विभाग के सामने बड़ी चुनौती बनी हुई है.
ऐसे नदी के वेग को तोड़ेगा विभाग
बाढ़ से प्रभावित सरकारी आंकड़ा
आंशिक प्रभावित पंचायत- 41पांच प्रखंड- 274 गांव
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