सरौन काली मंदिर की वार्षिक पूजा में उमड़े श्रद्धालु

चकाई प्रखंड के सरौन में अवस्थित प्रसिद्ध काली मंदिर में मंगलवार को वार्षिक पूजा के अवसर पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा.

By PANKAJ KUMAR SINGH | June 17, 2025 9:43 PM
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चंद्रमंडीह. चकाई प्रखंड के सरौन में अवस्थित प्रसिद्ध काली मंदिर में मंगलवार को वार्षिक पूजा के अवसर पर आस्था का जनसैलाब उमड़ पड़ा. रिमझिम बारिश के बीच अहले सुबह से ही पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं भीड़ मंदिर परिसर में जुटने लगी. इस दौरान एक लाख से भी अधिक श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से मां काली की पूजा अर्चना की. बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर के बगल में स्थित बड़का आहर में स्नान कर माता की चौखट तक दंडवत देते हुए पहुंचे. इससे पहले सुबह में विद्वान पंडितों ने मां की पिंडी के समक्ष वैदिक रीति-रिवाज के बीच दुर्गा सप्तशती का पाठ किया. पाठ की समाप्ति के बाद मंत्रोच्चार के साथ ध्वजारोहण किया गया. आसपास के कई गांवों के लोग प्रत्येक वर्ष वार्षिक पूजा के अवसर पर बजरंगबली का ध्वजारोहण के लिए यहां पहुंचते हैं. तत्पश्चात दर्जनों ब्राह्मणों एवं कन्याओं को भोजन कराने के साथ ही बकरे की बलि देने की शुरुआत हुई. इस दौरान पूजा अर्चना के साथ ही दूर-दराज से आये सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपने-अपने बच्चों का मुंडन संस्कार भी कराया. पूजा में न केवल बिहार के कई जगहों से बल्कि झारखंड एवं बंगाल से बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए. रुक-रुककर हो रही बारिश को देखते हुए स्थानीय प्रशासन एवं पूजा समिति ने श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर तक पहुंचाने के लिए पर्याप्त व्यवस्था की थी. ऐसी मान्यता है कि जो कोई भी सच्चे मन से मां की शरण में आता है, उसके सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं. यही कारण है प्रत्येक वर्ष वार्षिक पूजा पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ यहां जुटती है. इतना ही नहीं यहां वर्ष भर श्रद्धालु पूजा अर्चना के लिए जुटते हैं.

सुरक्षा को लेकर की गयी थी चाक-चौबंद व्यवस्था

वार्षिक पूजा में दी गयी हजारों बकरों की बलि

सरौन काली मंदिर मे वार्षिक पूजा के दौरान मंगलवार को सात-आठ हजार से भी अधिक बकरों की बलि दी गयी. इतनी संख्या में बलि देने के लिए पूजा समिति ने व्यापक तैयारी की थी. बलि दिलाने के लिए बिहार, बंगाल, झारखंड सहित कई अन्य राज्यों से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचे थे. बलि पूजा के लिए सुबह से ही लोग कतार में लगकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. इस संबंध में मुख्य पुजारी दशरथ पांडेय ने बताया कि वर्ष भर लोग मां की दरबार में पूजा अर्चना के लिए आते हैं, जब उनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है, तो वार्षिक पूजा के अवसर पर बकरे की बलि देने आते हैं और यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है.

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