
जमुई. जिले के मलयपुर थाना क्षेत्र के पत्नेश्वर पहाड़ पर स्थित बाबा पत्नेश्वरनाथ शिव मंदिर में भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करने पर बाबा भक्तों के सभी मुरादें पूरी करते हैं. यही कारण है कि इस मंदिर में सालों भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. किऊल नदी के तट से लगभग सौ फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित पतनेश्वर नाथ शिव मंदिर में जमुई सहित आस-पास के जिले के श्रद्धालु बाबा की पूजा-अर्चना कर मन्नतें मांगने पहुंचते हैं. बताया जाता है कि इस मंदिर में कामना लिंग के रूप में भगवान शंकर विराजते हैं. इसलिए यहां मांगी गयी मुरादें बाबा अवश्य पूरी होती हैं. सावन माह में आसपास जिले से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा पहुंचते हैं. शिव भक्त नदी में स्नान कर बोल बम के जयकारा लगाते हुए 104 सीढ़ी चढ़कर भगवान भोलेनाथ पर जल अर्पित कर अपने परिवार का मंगलकामना का आशीर्वाद मांगते हैं. संध्या के समय बाबा भोलेनाथ की सिंगार आरती भी की जाती है.
गिद्धौर रियासत ने की थी शिवलिंग की स्थापना
बताया जाता है कि सन 1171 में गिद्धौर रियासत के तत्कालीन राजा ने धर्म रक्षा के लिए पत्नेश्वर धाम मंदिर में पूरे विधि-विधान के साथ शुभ मुहूर्त में कामना लिंग की स्थापना की थी. भगवान शिव मंदिर के ठीक सामने माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित है. वही, मंदिर प्रांगण में भगवान गणेश, कार्तिक, मां दुर्गा, भगवान राम ,लक्ष्मण, माता सीता, बजरंगबली, काल भैरव और नंदी की प्रतिमा स्थापित की गयी थी.भगवान शिव का जलाभिषेक करने से कुष्ठ रोगियों को मिलती है मुक्ति
मुख्य पुजारी राजीव कुमार पांडेय बताते हैं कि पतनेश्वर शिव मंदिर कि महिमा अपरंपार है. नदी में स्नान ध्यान कर सच्चे मन से जो भी श्रद्धालु भगवान शिव पर जलाअभिषेक कर मन्नत मांगते हैं उनकी मुरादे भगवान शिव पूरी करते हैं. मान्यता है कि यहां भगवान शिव पर जलाअभिषेक करने से कुष्ठ रोगियों को मुक्ति मिलती है. इसलिए लोगों को भगवान शिव पर बहुत आस्था है. बताया जाता है कि 1711ई में गिद्धौर रियासत के राजा ने यहां कामना लिंग स्थापित किया था. मान्यता है कि कुष्ठ रोग से पीड़ित व्यक्ति 104 सीढ़ी चढ़ कर बाबा पर जलाअभिषेक करते हैं उन्हें कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल जाती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है