Jehanabad : काउंटर की कमी से मरीजों को घंटों करना पड़ रहा इंतजार

सदर अस्पताल में दवा का मात्र दो काउंटर है, जहां पर मरीजों को दवाई के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन छह से सात सौ मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं.

By MINTU KUMAR | May 21, 2025 10:44 PM
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जहानाबाद नगर.

सदर अस्पताल में दवा का मात्र दो काउंटर है, जहां पर मरीजों को दवाई के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है. सदर अस्पताल में प्रतिदिन छह से सात सौ मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं. ऐसे में मरीजों के संख्या के अनुरूप दवा काउंटर नहीं होने से दवा के लिए मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. डॉक्टर द्वारा दवा लिखी जाती है, लेकिन अस्पताल में निःशुल्क दवा के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है. कारण अस्पताल में दो ही काउंटर से सभी मरीजों को दवा दी जाती है. कई बार तो ऐसी नौबत भी आती है कि मरीज पुर्जा जमाकर घंटों इंतजार के बाद बिना दवा लिये ही चले जाते हैं. दो काउंटर रहने के कारण सदर अस्पताल के ओपीडी में दवा काउंटर के पास मरीजों की भीड़ लगी रहती है. सदर अस्पताल की ऐसी हालत है, तो पीएचसी की हालत को बखूबी समझा जा सकता है. ज्ञात हो कि आपको सदर अस्पताल इलाज कराने के बाद दवा लेने की जरूरत पड़ गयी तो आपको समय पर दवा नहीं मिलेगी. क्योंकि, दवा काउंटर पर घंटों लंबी कतार लगने के बाद जब तक आप की बारी आयेगी तब तक वितरण काउंटर बंद हो चुका होगा. यह व्यवस्था लंबे समय से चल रहा है, लेकिन अस्पताल प्रशासन इस पर ध्यान नहीं दे रही हैं. मरीज के साथ आये परिजन से लेकर सामाजिक संगठन तक कई बार चिकित्सा पदाधिकारी से दवा काउंटर बढ़ाने की मांग भी कर चुके हैं. अधिकारी व कर्मियों की कमी का हवाला देकर टाल-मटोल कर रहे हैं. सदर अस्पताल के ओपीडी में दवाई काउंटर के पास दवाई नहीं मिलने से आक्रोशित लोग हंगामा भी करते हैं.

सरकारी अस्पताल में व्यवस्था की कमी : सदर अस्पताल के ओपीडी में दवा वितरण के लिए महज दो काउंटर होना मरीजों के लिए परेशानी का सबब है. वैसे मरीज व परिजन जिनके पास पैसे का अभाव है उनके लिए तो लाइन में लगना लाचारी बन गयी है. सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों में विश्वास की बहाली हुई है, लेकिन आवश्यक सेवाओं की कमी से लोग परेशान हो रहे हैं. मरीजों को दवा लेने के लिए महज दो काउंटर होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें दवा के लिए घंटा इंतजार करना पड़ता है. ऐसे में जो मरीज आर्थिक रूप से सक्षम होते हैं वह सरकारी दवा लेने के बजाय निजी दवा काउंटर से दवा की खरीद कर लेते हैं वहीं आर्थिक रूप से कमजोर मरीज दवा के इंतजार में घंटे काउंटर पर खड़े रहते हैं.

महिला, बुजुर्ग और दिव्यांग के लिए नहीं है काउंटर : सदर अस्पताल में दवा के लिए महिला, दिव्यांग और बुजुर्ग के लिए अलग से काउंटर नहीं बनाया गया है, जिसके कारण महिला, पुरुष, दिव्यांग, बुजुर्ग एक ही काउंटर से दवा लेते हैं. ऐसे में खासकर दिव्यांगों और बुजुर्गों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. उन्हें भी घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है. कई बार तो दवा के लिए खड़ा रहते-रहते मरीज जब थक जाता है तो वह काउंटर के समीप ही बैठ जाता है. हालांकि दवा काउंटर के समीप मरीजों के बैठने का भी कोई इंतजाम नहीं है. ऐसे में मरीजों को जमीन पर बैठकर अपने बारी का इंतजार करना पड़ता है.

दवा काउंटर से ही निकलता है मरीज की पर्ची : ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के बाद से दवा काउंटर से ही मरीज की पर्ची निकलती है. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करने के बाद रजिस्ट्रेशन नंबर के अनुसार मरीज का इलाज तो हो जाता है लेकिन इलाज से संबंधित पर्ची निकलवाने के लिए उन्हें दवा काउंटर पर ही जाना पड़ता है. ऐसे में दवा काउंटर पर भीड़ और भी अधिक हो जाती है. एक तो मरीज दवा के लिए काउंटर पर लाइन लगाए खड़े रहते हैं, वहीं दूसरी तरफ पर्ची के लिए भी मरीज को लाइन में खड़ा रहना पड़ता है. ऐसे में कई बार मरीजों का आवश्यक जांच समय से नहीं हो पाता है. समय पर पर्ची नहीं निकलने के कारण डॉक्टर अपने ड्यूटी रूम से चले जाते हैं, जिससे मरीज चिकित्सक से आवश्यक सलाह लेने से वंचित रह जाते हैं.

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