मखदुमपुर. जिले के वाणावर पहाड़ के इलाके मुनगा का पता से बना पाउडर वनवासियों को रोजगार दे रखा है. भैख वन समिति के सहयोग से वन विभाग द्वारा चलायी जा रही मोरिंग प्रोसेसिंग यूनिट के माध्यम से वाणावर वन क्षेत्र के भैख ,जमनगंज एवं साकिरबिगहा पंचायत के 16 गांवों के करीब 300 घरों का जीविकोपार्जन चल रहा है. वन विभाग द्वारा वन समिति के सहयोग से 25 एकड़ में करीब दो लाख मोरिंगा के पेड़ लगाये गये हैं. साथ ही आसपास के कई गांवों से 40 रुपये प्रति किलो मोरिंगा के पतियों का खरीद किया जाता है और इससे पाउडर बनाया जाता है जिससे सैकड़ों लोगों की आजीविका और उद्यमी के साथ साथ लाखों लोगों का स्वास्थ्य और पोषण सुनिश्चित किया जा रहा है. साथ ही इसके माध्यम से पर्यावरण व जल संरक्षण का कार्य किया जा रहा है. ऐसा माना जाता है कि मोरिंगा के पत्तों में संतरे से ज्यादा विटामिन सी, दूध से ज्यादा कैल्शियम, गाजर से ज्यादा विटामिन ए, केले से ज्यादा पोटैशियम और पालक से ज्यादा आयरन होता है. विशेषज्ञों के अनुसार मोरिंगा के पेड़ की पत्तियों में विटामिन डी और ए, आवश्यक अमीनो एसिड, पोटेशियम, फास्फोरस, आयरन और कैल्शियम जैसे पोषक तत्व होते है. पत्तियों में कैरोटीन, विटामिन सी और फ्लेवोनोइड जैसे एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं जिसके उपयोग कर लोग कई बीमारियों से दूर हो रहे हैं.
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