हुलासगंज . आध्यात्मिक चेतना और भक्ति भाव से ओतप्रोत वातावरण में ऐतिहासिक लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर के गीता भवन प्रांगण में चल रहा श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ श्रद्धालुओं के लिए भक्ति, ज्ञान और आत्मपरिष्कार का अद्वितीय संगम बन गया है. इस दिव्य आयोजन में प्रतिदिन संध्या बेला में परम पूज्य स्वामी हरे रामाचार्य महाराज के अमृतमय प्रवचनों का आयोजन हो रहा है, जिसे सुनने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ रहा है. स्वामीजी ने भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की लीलात्मक कथा का अत्यंत मार्मिक और भावनात्मक वर्णन किया. उन्होंने कहा कि जब इंद्रदेव ने अपने अहंकार में डूबकर गोकुलवासियों पर प्रलयंकारी मूसलधार वर्षा की, तब बालकृष्ण ने अपनी छोटी सी कनिष्ठा अंगुली पर विशालकाय गोवर्धन पर्वत को उठाकर समस्त ग्रामवासियों को आश्रय प्रदान किया. यह दृश्य न केवल चमत्कारी था, बल्कि भक्ति, करुणा, पराक्रम और अहंकार विनाश का जीवंत संदेश भी था.स्वामी जी ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भावपूर्ण स्वर में कहा की गोवर्धन लीला केवल एक अद्भुत शक्ति का प्रदर्शन नहीं, अपितु यह यह दर्शाता है कि जब अहंकार अपनी सीमाएं लांघता है, तब ईश्वर स्वयं अवतरित होकर भक्तों की रक्षा करते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि श्रीकृष्ण ने इस लीला के माध्यम से यह सिखाया कि सच्चा पूजन देवताओं के डर या दिखावे के लिए नहीं, बल्कि प्रकृति, गोमाता, और समाज के प्रति कर्तव्य पालन के रूप में होना चाहिए.इस अवसर पर कथा स्थल का दृश्य अत्यंत भक्तिमय था. गोवर्धन उठाने की कथा का वर्णन किया, तब ऐसा प्रतीत हुआ मानो स्वयं गोवर्धनधारी श्रीकृष्ण भक्तों के मध्य उपस्थित हों. श्रद्धालु आंखों में आंसू और हृदय में श्रद्धा लिए कथा में लीन हो गए. गोवर्धन लीला के स्मरण मात्र से पूरा वातावरण जय गोवर्धनधारी श्रीकृष्ण के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा.कथा स्थल पर अरविंद जी, कौस्तुभ जी, प्रमोद शर्मा, सुदर्शन जी, चंदन जी, पुष्कर कुमार,रवि कुमार अभय जी एवं शुभम कुमार के द्वारा भजन-कीर्तन, पुरा वातावरण भक्ति में बना हुआ था.
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