
भभुआ नगर. भारतीय संविधान सभा के सदस्य व सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय, भभुआ के संस्थापक बाबू गुप्तनाथ सिंह की 58वीं पुण्यतिथि मनायी गयी. इधर, बाबू गुप्त नाथ सिंह की पुण्यतिथि पर सरदार वल्लभ भाई पटेल महाविद्यालय एलुमनी एसोसिएशन की ओर से ””””भारतीय स्वाधीनता आंदोलन में प्रखर स्वतंत्रता सेनानी बाबू गुप्तनाथ सिंह की भूमिका”””” विषय पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ शंकर प्रसाद शर्मा की अध्यक्षता में एक स्मृति व्याख्यान व पोस्टर प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया. पोस्टर प्रदर्शनी में उनके स्वतंत्रता संग्राम के सफर, संविधान निर्माण में उनकी भूमिका, कैमूर जैसे पिछड़े क्षेत्र के लिए किये गये उनके राजनैतिक, सामाजिक और शैक्षणिक कार्यों को विविध छायाचित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया. स्मृति व्याख्यान की शुरुआत सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा और बाबू गुप्तनाथ सिंह के छायाचित्र पर माल्यार्पण व महाविद्यालय के लिए लिखी गयी उनकी कविता का महाविद्यालय की छात्रा आंचल के काव्यपाठ से किया गया. उसके बाद शॉल और पुष्पगुच्छ देकर अतिथियों का स्वागत किया गया. विशिष्ट वक्ता के अभिभाषण से पहले एलुमनी एसोसिएशन के सचिव विशाल कुमार ने बाबू गुप्तनाथ सिंह का संक्षिप्त जीवन परिचय कुछ नये तथ्यों के साथ प्रस्तुत किया. उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान विविध क्षेत्रों में किये गये उनके कार्यों का उल्लेख करते हुए पत्रकारिता के क्षेत्र में किये गये उनके प्रयासों को तथ्यपरकता के साथ प्रस्तुत किया. बाबू गुप्तनाथ सिंह पर विशेष शोध कर रहे विशाल कुमार ने जोर देकर कहा कि जिस तरह की सोच और दूरदर्शिता उनमें थी, आज के विद्यार्थियों-नौजवानों को उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए. इतने महान व्यतित्व पर अकादमिक जगत में बहुत ज्यादा काम नहीं हुआ है, जबकि जरूरत है कि इन ऐतिहासिक दस्तावेजों पर एक व्यवस्थित कार्य हो. साथ ही बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य इनके अलावा अंतू राम, गुप्तेश्वर पांडे, सरजू पांडेय जैसे कैमूर के अन्य स्वतंत्रता सेनानियों पर काम कर अपने क्षेत्र के इतिहास को जानना-समझना भी है. वहीं, इस दौरान स्मृति व्याख्यान के विशिष्ट वक्ता प्रो कमला सिंह ने कहा कि जब भी मैं अपने जीवन में हताश होती हूं. बाबू गुप्तनाथ सिंह को याद करती हूं. नारी सशक्तीकरण का जो बीज मेरे अंदर अंकुरित हुआ है, उसमें सबसे बड़ा योगदान ””””बाबूजी”””” का है. बाबू गुप्तनाथ सिंह ने विश्व के बड़े चिंतकों और दार्शनिकों को पढ़ते हुए अपनी जीवन दृष्टि विकसित की थी. आम जन के प्रति इनका लगाव इसी विश्व दृष्टि का परिणाम है. स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के यह कहने पर कि स्वतंत्रता के बाद पढ़े लिखे विद्वानों की जरूरत होगी. उन्होंने आगे की पढ़ाई जारी की. और बाद में संविधान सभा के सदस्य बने. आगे प्रो कमला सिंह ने कहा कि बाबू गुप्तनाथ सिंह के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही है कि देश में सांप्रदायिक सौहार्द्रता को जितना बढ़ाया जा सके बढ़ाया जाये. विशिष्ट अतिथि श्री बद्री नारायण सिंह ने बाबू गुप्तनाथ सिंह के साथ बिताये पलों को याद करते हुए उनके जीवन के कुछ नये पहलुओं को हम सबके समक्ष रखा. उन्होंने कहा कि बाबू गुप्तनाथ जी के विविध कार्यों के ऊपर अभी बहुत से काम होने बाकी हैं. महाविद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र के नाते एलुमनी एसोशिएशन के द्वारा आयोजित इस स्मृति व्याख्यान से उनके विविध कार्यों को विश्वपटल पर लाना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है. वहीं, इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ शंकर प्रसाद शर्मा ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि भभुआ में एक किराये के मकान में रहते हुए इतने बड़े महाविद्यालय की नींव रखना उनकी दूरदर्शिता और आत्मबल का सबसे बड़ा प्रमाण है. इसके माध्यम से उन्होंने कैमूर ही नहीं, पूरे शाहाबाद के क्षेत्र में शिक्षा के माध्यम से नयी चेतना फैलाने का काम किया. साथ ही उन्होंने यह घोषणा की कि आज से महाविद्यालय के इस सेमिनार हॉल का नाम ”””” बाबू गुप्तनाथ सिंह सभागार के नाम से जाना जायेगा. इस दौरान मौके पर महाविद्यालय के पूर्ववर्ती छात्र दाऊ पटेल, शंकर कैमूरी, रामाशीष सिंह, कपिलमुनि सिंह, रामजी सिंह, शिशुपाल सिंह, डॉ दिनेश सिंह, केश्वर प्रसाद भारती आदि ने अपने विचार प्रस्तुत कर श्रद्धांजलि अर्पित किया. पूरे कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सैयद शहद करीम ने किया.
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