
भभुआ सदर. राज्य सरकार की ओर से शहरों में होनेवाले अंधाधूंध बोरिंग पर कड़ाई करने के अलावा बोरिंग की मैपिंग करने कराने का आदेश है. मैपिंग नहीं कराने पर आर्थिक दंड का प्रावधान किया गया है. लेकिन, सरकार के इतने कवायदों के बावजूद भभुआ शहर में बिना किसी अनुमति के ही बोरिंग करायी जा रही हैं. इसके चलते अभी तक शहर में भू-गर्भीय जलस्तर ऊपर नहीं आ पाया है. इस मामले में किसी भी जनप्रतिनिधि व अधिकारी के रुचि नहीं लेने से पट रहे जलाशय, सिकुड़ रहे तालों व बढ़ रही आबादी के बीच जल संरक्षण नहीं हो पा रहा है. लेकिन, यह हाल तब है, जब केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार तक प्राकृतिक जल संरक्षण व जल संवर्द्धन पर बल दे रही हैं. हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से संचालित राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत जल संरक्षण पर बल दिया गया है. बिहार सरकार सिचाई समृद्धि, जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन, जल संचयन व जल संवर्धन की बाबत विशेष कार्य कराये जाने का निर्देश दिया है. मनरेगा के उद्देश्य में जलग्रहण क्षेत्र प्रबंधन व जल संचयन व जल संवर्धन भी समाहित हैं. मनरेगा के तहत लगभग प्रत्येक जगह पोखरे, तो खोदे गये हैं, पर इन्हें पानी से भरने का फरमान बेमानी साबित हो रहा है.
शहर में होल्डिंग संख्या 8500 के करीब
भभुआ शहर में जलस्तर का काफी उतार चढ़ाव है. इसीलिए कही-कहीं तो महज 80-90 फुट पर ही पानी निकल जाता है, तो कही 220 फुट पर भी पानी नहीं मिलता है. विभागीय जानकारी के अनुसार, पेयजल आमजन को आसानी से उपलब्ध कराने के लिए भभुआ शहर में ही आज अनुमानित हिसाब से लगभग 40 लीटर जल की आवश्यकता प्रति व्यक्ति होती है. विभागीय दावों को मानें, तो 250 व्यक्ति पर एक चापाकल काफी है. जबकि भभुआ की जनसंख्या जनगणना 2001 के अनुसार एक लाख के आसपास है और शहर में होल्डिंग की संख्या लगभग 8500 है. पूर्व अभियंता रमेश प्रसाद सिंह के अनुसार, शहर के दक्षिणी भाग विशेषकर वार्ड संख्या 14,15,19,23,25 के शहरी इलाकों में हर साल अप्रैल से अगस्त तक जलस्तर काफी तेजी से नीचे चला जाता है.बड़े पैमाने पर शहर में भू-जल का हो रहा दोहन
दरअसल, शहर में भू-जल का व्यावसायिक दोहन तेजी से हो रहा है और जरूरत से ज्यादा पानी जमीन से निकाल कर बर्बाद किया जा रहा. बोतलबंद पानी के कारोबारी हों या वाहन सर्विसिंग सेंटर चलाने वाले, ये बहुत पानी बर्बाद करते हैं. उसकी तुलना में भूजल रिचार्ज की कोई व्यवस्था नहीं है. इसके जो प्राकृतिक स्रोत यानी कुआं, तालाब व पोखर थे, वे भी दिन-प्रतिदिन खत्म होते जा रहे हैं.
जरूरी है अनधिकृत बोरिंग पर रोक लगाना
आनेवाले समय को देखते हुए जल संरक्षण की काफी जरूरत है. लोगों को भी चाहिए कि वह अपने आसपास जल संचयन पर लोगों को जागरूक करें. जल ही जीवन है. जल का संरक्षण करना बेहद जरूरी है.– नीरज सिंह
सरकार ने जो भी निर्णय लिया है. वह स्वागतयोग्य है. क्योंकि, भूजल दोहन से हर साल पानी की कमी हो जाती है. शहर में फिलहाल बोरिंग कराने के लिए कोई अनुमति लेना जरूरी नहीं है.अनिल कुमार सिंह
उनके मुहल्ले और इसके आसपास जितने भी मकान बने हैं. सब मकानों में बोरिंग करायी गयी है. लेकिन, जल संरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. अब इसके चलते बोरिंग से निकला पानी बर्बाद होता रहता है.अवकाश सिंह B
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