
भभुआ कार्यालय. बनारस-रांची-कोलकाता एक्सप्रेसवे, जो कैमूर जिले से होकर गुजर रही है. इसके जमीन अधिग्रहण को लेकर जमीन मालिक व प्रशासन के बीच टकराव दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. अभी चार दिनों पहले किसान संघ ने समाहरणालय में प्रदर्शन करते हुए डीएम के नाम से डीडीसी को ज्ञापन देकर स्पष्ट रूप से यह कहा गया था कि जब तक उनके जमीन का मुआवजा उनके खाते में नहीं चला जाता है और एक्सप्रेसवे में जा रही जमीन का एक समान दर प्रत्येक मौजा की जमीन मालिकों को नहीं दिया जाता है, तब तक वह अपनी 1 इंच जमीन एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए नहीं देंगे. भले ही इसके लिए उनकी जान क्यों नहीं चली जाए. वहीं, दूसरी तरफ जिला प्रशासन के द्वारा बीते दिनों यह आदेश जारी किया गया था कि एक्सप्रेसवे के लिए अधिग्रहित की जाने वाली जमीन पर किसान धान की खेती नहीं करेंगे. क्योंकि उनकी जमीन को एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए अधिग्रहित कर लिया गया है और उनके मुआवजे का भुगतान भी जारी है. ऐसे में अगर वह धान की खेती करते हैं , तो एक्सप्रेसवे निर्माण के दौरान उनके धन की फसल नष्ट हो जायेगी. इससे उन्हें आर्थिक क्षति उठानी पड़ेगी. लेकिन, इन सब के बीच जमीन मालिकों के द्वारा अधिग्रहित किये जाने वाली जमीन पर धान की खेती शुरू कर दी गयी है. कहीं, पर खेत की जुताई की जा रही है, तो कहीं पर धान की रोपनी कर दी गयी है. इसके बाद जिलाधिकारी के द्वारा जिले के संबंधित अंचलाधिकार, एसडीएम, जिला कृषि पदाधिकारी व प्रखंड किसी पदाधिकारी को पत्र जारी कर जमीन मालिकों को अधिग्रहीत जमीन पर खेती नहीं करने देने का आदेश जारी किया गया है. आदेश के बावजूद जमीन मालिकों के द्वारा खेती किये जाने पर उनके ऊपर कार्रवाई करने का आदेश युक्त पदाधिकारी को डीएम के पत्र में दिया गया है. = अधिग्रहित जमीन पर खेती होती है, तो जिम्मेदार होंगे अधिकारी डीएम के द्वारा युक्त पदाधिकारी को जो पत्र जारी किया गया है, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि पूर्व के पत्र में आप सभी लोगों को यह निर्देश दिया गया था कि एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए अधिग्रहित जमीन पर खेती नहीं करने दे. और ऐसा करने वाले लोगों पर उचित कार्रवाई करें. लेकिन, इस बीच काम करने वाली एजेंसी के द्वारा अधिग्रहित जमीन पर खेती करने का फोटो व सूचना उपलब्ध करायी गयी है. अगर किसानों के द्वारा धान की रुपाणी कर दी जायेगी, तो उनके द्वारा धान की रोपनी होने पर एक्सप्रेसवे निर्माण का कार्य बाधित किया जायेगा. इससे एक्सप्रेसवे निर्माण में अनावश्यक विलंब होगा. एक्सप्रेसवे निर्माण की प्रगति की समीक्षा प्रत्येक सप्ताह केंद्र व बिहार सरकार के वरीय अधिकारियों द्वारा की जाती है. ऐसे में अगर आप लोगों के द्वारा धान की रोपनी रोकने में शिथिलता बरती जाती है, तो यह स्वीकार योग्य नहीं है और परियोजना के विलंब के लिए सारी जवाब दे ही आपकी होगी. ऐसे में इसे गंभीरता से लेते हुए धान की रोपनी रोकने के लिए आप लोगों के द्वारा आवश्यक कार्रवाई करना सुनिश्चित किया जाए. = अभी तक 25 करोड रुपये का किया जा चुका है भुगतान जिला भूवर्जन पदाधिकारी ने बताया कि 72 मौजा की 2948 किसानों का एक्सप्रेसवे निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहित किया जाना है. अभी तक 125 किसानों को करीब 25 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है. भुगतान काफी तेजी से जमीन मालिकों को किया जा रहा है. उनसे आग्रह होगा कि वह अधिग्रहित जमीन पर खेती न करें. इससे उनका आर्थिक क्षति होगी जमीन का मुआवजा देने के लिए जिला प्रशासन पूरी ताकत से लगा हुआ है. 72 में से 60 मौज में मुआवजा भुगतान के लिए आर्बिट्रेटर के यहां से आदेश आ गया है. 272 किसानों के द्वारा मुआवजा के लिए आवेदन दिया गया है, जिसमें 125 किसानों का भुगतान भी कर दिया गया है. = दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है टकराव दिन प्रतिदिन जमीन मालिकों एवं प्रशासन के बीच एक्सप्रेसवे निर्माण में अधिग्रहित होने वाले जमीन को लेकर टकराव बढ़ता ही जा रहा है. पिछले दिनों एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए पांच गांव में जमीन के समतलीकरण व साफ सफाई का काम शुरू हुआ था. लेकिन, मुआवजा का भुगतान में विलंब के कारण जमीन मालिकों के द्वारा काम रुकवा दिया गया है. चार दिनों पहले किसान संघर्ष मोर्चे के बैनर तले जमीन मालिकों के द्वारा समहरणालय में एक उग्र प्रदर्शन किया गया था. इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि वह एक समान मुआवजा जब तक उनके खाते में नहीं आता है, तब तक वह अपनी 1 इंच जमीन पर एक्सप्रेसवे का निर्माण नहीं होने देंगे. इस बीच जिला प्रशासन के द्वारा एक्सप्रेसवे में अधिग्रहीत जमीन पर खेती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश के बाद टकराव और बढ़ता ही जा रहा है.
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