ग्रामीणों को शक
कुछ ग्रामीणों की माने तो इस अवैध वसूली में कुछ जनप्रतिनिधियों का भी संरक्षण प्राप्त है, जिनके लोग गांव में घूम-घूम कर अभी से ही अपने स्तर पर लोगों की सूची तैयार करने में जुट गये हैं. जबकि, इस सर्वे का कार्य सरकारी कर्मियों द्वारा किया जाना है और इसके लिए केवल आवास सहायक ही नहीं बल्कि एक टीम का गठन होगा, जो वैसे लोगों की पहचान करेंगे जिन्हें पीएम आवास योजना की जरूरत है और वास्तव में वे उसके हकदार हैं.
सेंधमारी करने के प्रयास में बिचौलिए
इस बार प्रशासन द्वारा जो रणनीति बनायी गयी है उससे तो यही स्पष्ट होता है कि इस बार आवास योजना में दलालों व बिचौलियों की दाल नहीं गलने वाली है. लेकिन, अभी से दबे पांव बिचौलिए इस योजना में सेंधमारी कर घुसने की कोशिश करने में जुट गये हैं. भले ही इस योजना का लाभ अपात्र लाभुकों को नहीं मिले, लेकिन वह भी आवास योजना की सूची में अपना नाम अंकित कराने के लिए रुपये देने से तनिक भी परहेज नहीं कर रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ जो इस लाभ के वास्तविक हकदार हैं वह भी इस शंका में कि कहीं उनका नाम सूची से काट न दिया जाये, इसके शिकार हो रहे हैं.
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