किसानों ने अनिश्चितकालीन धरना किया स्थगित

राकेश टिकैत एवं सुधाकर सिंह के अपील पर धरना किया गया स्थगित

By PANCHDEV KUMAR | May 7, 2025 11:24 PM
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चांद. भारत माला परियोजना बनारस रांची टु कोलकाता एक्सप्रेस-वे में अधिग्रहीत भूमि की उचित मुआवजा की मांग को लेकर पिछले एक वर्ष 125 दिन से पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड कंपनी के बेस कैंप स्थल मसोई में चले ऐतिहासिक अनिश्चितकालीन धरना को किसान द्वारा स्थगित कर दिया गया. बुधवार को अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे किसानों ने किसान नेता राकेश टिकैत एवं सांसद सुधाकर सिंह के आह्वान पर अगले तिथि तक धरना को स्थगित कर दिया है. धरना पर बैठे भारतीय किसान यूनियन कैमूर के अध्यक्ष एवं किसान संघर्ष मोर्चा कैमूर के सचिव अनिल सिंह उदय नारायण सिंह भुपेंद्र सिंह आदि किसानों ने कहा भारत पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध की स्थित को देखते हुए अनिश्चितकालीन धरना को फिलहाल स्थगित का दिया गया है. किसानों ने कहा इस समय देश में एकजुटता दिखाने का समय है. किसानों ने यह भी कहा भारत पाकिस्तान के संभावित युद्ध को देखते हुये भारत सरकार का विरोध करना कहीं से भी सही नहीं होगा. किसानों ने तय किया जबतक युद्ध के हालत रहेंगे, किसान अनिश्चितकालीन धरना स्थगित रखेंगे. साथ ही धरना स्थगित करते हुये अध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन कैमूर ने पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड कंपनी के मैनेजर अमित कुमार सिंह को हिदायत दी है की धरना स्थगित रहने के समय में समझौता के अलावा कोई अन्य काम नहीं करेंगे. भारत माला परियोजना बनारस रांची टू कोलकाता एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिए अधिग्रहित भूमि की उचित मुआवजा के लिए किसान किसान संघर्ष मोर्चा कैमूर एवं भारतीय किसान यूनियन कैमूर के नेतृत्व में अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हुए थे. भारतीय किसान यूनियन कैमूर अध्यक्ष ने कहा स्थिति सामान्य होने के बाद जरूरत पड़ने पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया जायेगा. धरना में बैठे किसानों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद एवं जो भारत से टकराएगा चूर चूर हो जायेगा के नारे भी लगाये. किसानों ने कहा जरूरत पड़ने पर युद्ध में भारत सरकार के आह्वान पर किसान परिवार तैयार रहेगा. वही किसानों के द्वारा अनिश्चितकालीन धरना स्थगित करने पर जिलाधिकारी सावन कुमार ने स्वागत किया है. परियोजना में कैमूर जिले में 52 किमी लंबी एक्सप्रेस-वे निर्माण के लिये सैकड़ों हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की गयी है, जिसके लिये उचित मुआवजा की मांग लेकर किसान पिछले ढाई साल से लगातार आंदोलन कर रहे हैं.

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