भभुआ नगर. अब तक आपने सुना होगा कि गुरुजी के कंधों पर छात्रों को ज्ञान बांटने की जिम्मेदारी होती है. यानी विद्यालय में छात्रों को पढ़ाने का कार्य करते हैं. लेकिन, कैमूर का एक ऐसा विद्यालय भी है, जहां शिक्षक पठन-पाठन का कार्य छोड़ कर शिफ्ट वाइज दो शिक्षक पहरेदारी करते हैं. विद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ कोई अनहोनी न हो जाये, इसके लिए सुबह से शाम तक शिफ्ट वाइज दोनों शिक्षक पहरेदारी करते हैं. ताकि, कोई भी छात्र-छात्राएं नदी की तरफ न जाये. कारण कि चहारदीवारी नहीं होने के कारण नदी की ओर जाने से कोई हादसा हो सकता है.
चहारदीवारी निर्माण के लिए नहीं हो रही ठोस पहल
गौरतलब हैं कि जिले कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि भी अधिक गंभीर नहीं दिख रहे हैं. बेपरवाही का आलम यह है कि तालाब, पोखर और सड़क के किनारे स्थित स्कूलों की अब तक बाउंड्री भी नहीं करायी गयी है. बड़ा सवाल यह है कि स्कूल की छुट्टी या मध्यावकाश के समय बाउंड्री विहीन विद्यालय में खेलते-खेलते बच्चे की सुरक्षा अगर खतरे में पड़ जाये, तो जिम्मेदार कौन होगा. जहां इस तरह का मामला केवल एक विद्यालय का नहीं है, जिले में सैकड़ों प्राथमिक, मध्य व उच्च माध्यमिक विद्यालयों का है. विभाग भी इसे स्वीकार कर रही है, लेकिन चहारदीवारी निर्माण को लेकर पहल नहीं की जा रही है.
1800 से अधिक छात्र-छात्राओं का है नामांकित
= वर्ग 6 से 12वीं तक होती है पढ़ाई
शहर के अटल बिहारी सिंह उच्च विद्यालय पीएम श्री के तहत चयनित विद्यालय है. वर्ग 6 से लेकर 12वीं तक के छात्र-छात्राओं कि पढ़ाई होती है. आलम यह है कि छात्र-छात्राओं की संख्या के अनुसार, विद्यालय में बैठने से लेकर भवन तक की भी कमी है. गर्मी के मौसम में जब विद्यालय की छुट्टी होती है, तो आनन-फानन में गर्मी से परेशान बच्चे बाहर जब निकलते हैं, उस समय शिक्षकों की चिंता और भी बढ़ जाती है कि कही छात्र-छात्राएं नदी की ओर न चले जाये.
वाहन दुर्घटना के भी शिकार हो सकते हैं छात्र
नदी के तरफ बाउंड्री व छुट्टी के समय सड़क पर प्रशासन की मौजूदगी जरूरी
क्या कहते हैं प्रिंसिपल
प्रिंसिपल शिव शंकर कुमार ने कहा कि नदी के तरफ विद्यालय का बाउंड्रीवॉल नहीं रहने के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. इस समय बरसात का मौसम है नदी उफान पर है. नदी का जलस्तर बढ़ने के कारण नदी का पानी विद्यालय कैंपस तक आ जाता है. इसके कारण कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है. बाउंड्रीवॉल के लिए कई बार जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना को आवेदन देकर गुहार लगायी गयी है, लेकिन इसे लेकर कोई पहल नहीं की गयी.
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