Kaimur News : जिले के 3.36 लाख परिवारों से फीडबैक लेगी टीम लेगी

जिले में स्वच्छता मानकों को जांचने के लिए पहुंची जल शक्ति मंत्रालय की टीम

By PANCHDEV KUMAR | July 23, 2025 9:23 PM
feature

भभुआ. जिले के विभिन्न गांवों में स्वच्छता अभियान के तहत अब तक कराये गये स्वच्छता संबंधित काम के मापदंड का स्तर जांचने के लिए जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार की टीम बुधवार को जिले के भभुआ व नुआंव प्रखंड के विभिन्न गांवों में पहुंची़ जल शक्ति मंत्रालय के टीम इस सर्वेक्षण में ओडीएफ प्लस मॉडल गांवों, स्कूलों व घरों, सार्वजनिक भवनों आदि जगहों पर स्वच्छता के मानकों का गहन सर्वेक्षण करेगी. जिला समन्वयक के अनुसार, जांच टीम सीधे स्थल निरीक्षण के लिए गांव, कस्बों, टोलों आदि पर जायेगी. स्वच्छता के कार्यों के गुणवत्ता के मानक की अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजेगी. केंद्रीय टीम ग्रामीणों से पूछेगी ””””क्या आपके गांव में खुले में शौच किया जाता है””””. इसके अलावा स्वच्छता के विभिन्न बिंदुओं पर ग्रामीणों के विचारों को लिया जायेगा. गौरतलब है कि जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार स्वच्छता को लेकर एक सर्वेक्षण करा रही है. इस सर्वेक्षण का उद्देश्य गांवों में स्वच्छता के मापदंडों पर स्वच्छता प्रगति का मूल्यांकन करना है. ताकि जिलों के रैंकिंग में स्वच्छता मापदंडों को शामिल कर उनकी रैंकिंग निर्धारित की जा सके. इसमें क्या आपके गांव में कोई ऐसा क्षेत्र है, जहां खुले में किया जाता है शौच सहित स्वच्छता संबंधित अन्य सवालों का जवाब भी ग्रामीणों से केंद्रीय टीम जानेगी. टीम में शामिल हैं 40 सदस्य जिला जल एवं स्वच्छता समिति के जिला समन्वयक ने बताया कि भारत सरकार की केंद्रीय टीम स्वच्छता मानकों का सर्वेक्षण करने के कैमूर आ चुकी है. इसमें कुल 40 सदस्य हैं. इनकी दो टीमें भारत सरकार की ओर से बनायी गयी हैं. एक-एक टीम में 20-20 सदस्यों को शामिल किया गया है. बुधवार को एक टीम जिले के भभुआ प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में तथा दूसरी टीम नुआंव प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में स्वच्छता का सर्वेक्षण कर रही है. सर्वेक्षण के क्रम में स्वच्छता कार्यों का स्थल निरीक्षण करने के साथ-साथ ग्रामीणों से संवाद कर स्वच्छता कार्यों का फीड बैक कुल 52 बिंदुओं पर टीम द्वारा प्राप्त किया जाना है, जिसके बाद राज्यस्तर पर जिले के स्वच्छता रैंकिंग लेबल का निर्धारण किया जाना है. = जिले में स्वच्छता स्तर जांचने को लेकर टीम लेगी फीड बैक जिले में स्वच्छता अभियान के तहत लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान में घर घर शौचालय बनाने से लेकर जितने भी स्वच्छता संबंधित कार्य जिलास्तर पर कराये गये हैं, उन्हें लेकर जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार की टीम तीन लाख 36 हजार 569 परिवारों से स्वच्छता मानक का फीड बैक प्राप्त करेगी. इधर, मिली जानकारी के अनुसार, केंद्रीय टीम स्वच्छता कार्यों का सिर्फ स्थल निरीक्षण ही नहीं करेगी, यह भी देखेगी कि स्वच्छता कार्यों के क्रियान्वयन के बाद गांवों में स्वच्छता की स्थिति क्या है. ग्रामीणों को इसका कितना लाभ मिल रहा है या नहीं. इसको लेकर जांच टीम के सदस्य ग्रामीणों से सीधा संवाद कर स्वच्छता कार्यों के उपयोगिता पर उनके विचार प्राप्त करेंगे. गौरतलब है कि जिले में पिछले कुछ वर्षों से चल रहे स्वच्छता अभियान के तहत घर-घर शौचालय निर्माण से लेकर सामुदायिक शौचालयों का निर्माण, घर-घर कचरा का उठाव व सूखे तथा गीले कचरे को जमा करने के लिए अलग अलग कचरा यूनिट का निर्माण, गोवर्धन प्लांटों, मल कीचड़ प्रबंधन प्रणाली का निर्माण आदि कई तरह के स्वच्छता कार्यों को धरातल पर उतारा गया है. इन्सेट स्वच्छता अभियान बेअसर, गंदगी से पटा हैं ग्रामीण पथ भभुआ. प्रशासन स्वच्छता अभियान और लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान के तहत स्वच्छता का दावा कर अपनी पीठ चाहे जितना थपथपा ले, लेकिन धरातल पर इस अभियान की हवा पूरी तरह निकल चुकी है. स्वच्छता अभियान पर बड़ी राशि हर साल खर्च की जा रही है. इसके बावजूद लोगों को लोटा और बोतल ले जाने की आदत में सुधार नहीं हुआ है. नतीजा है घर-घर शौचालय अभियान चलाने के बाद भी गांवों के सडकों पर गंदगी का अंबार है. जिला मुख्यालय के पास के गांव दुमदुम, सारंगपुर, अखलासपुर, मोकरी आदि गांवों के सडकों का हाल देखा जा सकता है. सड़क पर चलने के लिए साफ जगह ढूंढना बेहद भारी पड़ता है. जहां तक ओडीएफ प्लस मॉडल गांवों की बात है, तो यह अभी बहुत दूर की लगती है. ओडीएफ गांवों की ही शक्ल बिगड़ चुकी है, फिर ओडीएफ प्लस मॉडल गांव का मतलब तो प्रशासन ही समझ सकता है. कभी घर-घर बनाये गये शौचलायों का बाजा बज चुका है. कई जगहों पर सामुदायिक शौचालयों की स्थिति भी नाजुक है. कई सामुदायिक शौचालय या तो उपयोग लायक नहीं है या पूरी तरह जर्जर हो चुके हैं. किसी में पैखाने का सीट नहीं है, तो कहीं दरवाजे नहीं है. कहीं दीवाल ही गिर चुकी है. इसी तरह जिले के विभिन्न गांवों में कचरा उठाव और निस्तारण की स्थिति भी डांवाडोल है. जगह-जगह गांवों में कचरे का अंबार लगा हुआ है. बदबू से लोग परेशान हैं. जबकि, जिला समन्वयक के अनुसार जिले के 1247 गांवों में से 1143 गांवों को ओडीएफ पल्स घोषित किया जा चुका है. लेकिन, ग्रामीणों के अनुसार गांवों के सरजमीं पर हालात विपरीत हैं. इन्सेट 1357 परिवारों को अभी भी नहीं मिली शौचालय निर्माण की राशि भभुआ. जहां तक जिले में स्वच्छता अभियान के मापदंडों का सवाल है. उसका जायजा, तो केंद्रीय टीम लेने पहुंच ही चुकी है. लेकिन, सरकार के वर्ष 2018 में ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से चलाये गये घर घर शौचालय निर्माण में अभी भी वर्ष 2022-23 से लेकर वर्ष 2023- 24 त तक 1357 परिवारों को शौचालय निर्माण के प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं किया जा सका है. गौरतलब है कि सरकार की ओर से एक परिवार को एक शौचालय बनाने के लिए 12 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि का भुगतान दिया जाता है. इधर, इस संबंध में जिला जल एवं स्वच्छता समिति के समन्वयक नरेंद्र कुमार ने बताया कि वर्ष 2022-23 से लेकर वर्ष 2023-24 तक 21 हजार 747 शौचालयों के निर्माण कराने का लक्ष्य रखा गया था. इसमें 19 हजार 202 शौचालयों के निर्माण का प्रोत्साहन राशि का भुगतान कर दिया गया है. शेष 2545 शौचालयों में से 1357 शौचालयों की प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हो सका है. जबकि 1188 शौचालयों के प्रोत्साहन राशि की भुगतान प्रक्रिया जारी है.

संबंधित खबर और खबरें

यहां कैमूर न्यूज़ (Kaimur News) , कैमूर हिंदी समाचार (Kaimur News in Hindi), ताज़ा कैमूर समाचार (Latest Kaimur Samachar), कैमूर पॉलिटिक्स न्यूज़ (Kaimur Politics News), कैमूर एजुकेशन न्यूज़ (Kaimur Education News), कैमूर मौसम न्यूज़ (Kaimur Weather News) और कैमूर क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version