धान के कटोरे में खत्म होगी पानी की किल्लत, कैमूर को गंगा-कर्मनाशा लिंक के शिलान्यास का इंतजार

Paddy Bowl: इस संबंध में कैमूर किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य विकास सिंह ने बताया कि रामगढ़ विधायक अशोक सिंह ने मुख्यमंत्री से मिलकर गंगा-कर्मनाशा लिंक परियोजना का शिलान्यास करने का अनुरोध किया गया है.

By Ashish Jha | February 8, 2025 5:47 AM
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Paddy Bowl: भभुआ. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कैमूर में प्रस्तावित प्रगति यात्रा में अगर जमनियां ककरैत घाट गंगा-कर्मनाशा लिंक परियोजना का शिलान्यास मुख्यमंत्री द्वारा किया जाता है, तो कैमूर में भी गंगा की लहरों की सौगात जिलेवासियों को प्राप्त हो जायेगी. यही नहीं कर्मनाशा नदी को गंगा से जोड़ने के बाद जिले के तीन प्रखंडों में लगभग 12 हजार हेक्टेयर खेतों का पटवन भी बढ़ जायेगा. मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा में जमनियां ककरैत घाट गंगा-कर्मनाशा लिंक परियोजना के शिलान्यास होने के इंतजार में किसान लगे हुए हैं. इस संबंध में कैमूर किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य विकास सिंह ने बताया कि रामगढ़ विधायक अशोक सिंह ने मुख्यमंत्री से मिलकर गंगा-कर्मनाशा लिंक परियोजना का शिलान्यास करने का अनुरोध किया गया है. ऐसे में किसानों को उम्मीद है कि प्रगति यात्रा में मुख्यमंत्री गंगा-कर्मनाशा लिंक नहर योजना का शिलान्यास जरूर करेंगे.

पटवन की समस्या से परेशान हैं किसान

जिले में मोहनिया अनुमंडल में सिंचाई व्यवस्था की कमान बड़े पैमाने पर कर्मनाशा नदी के पानी के भरोसे चलता है. लेकिन, कर्मनाशा नदी पर आधारित मोहनिया अनुमंडल का जमनिंया नहर प्रमंडल से जुडे पंप केनाल नदी में पानी कम होने के साथ ही पंप पानी फेंकने की जगह धुकधुकाने लगते हैं. जमनियां नहर प्रमंडल में कर्मनाशा नदी के पानी के सहारे चलने वाले ककरैत घाटा का विश्वकर्मा पंप केनाल, जैतपुरा पंप केनाल, लरमा पंप केनाल, तीयरा पंप केनाल किसानों के खेतों की प्यास को नहीं बुझा पाता है और किसानों के मेहनत की सारी कमाई पटवन के अभाव में उनकी आंखों के सामने ही उनके हाथ से निकल जाती है. ऐसे में अगर मुख्यमंत्री की प्रस्तावित यात्रा में गंगा-कर्मनाशा लिंक परियोजना का शिलान्यास होता है, तो भविष्य में गंगा की हिलोरे कैमूर तक पहुंचने लगेगी.

मोहनिया अनुमंडल में आयेगी खुशहाली

अगर सीएम द्वारा गंगा-कर्मनाशा लिंक परियोजना का शिलान्यास किया जाता है तो कैमूर को यूपी के जमनियां से बहने वाली गंगा के पानी के सौगात के साथ मोहनिया अनुमंडल में खुशहाली का नया दरवाजा खुल जायेगा. मोहनिया अनुमंडल के रामगढ़, नुआंव तथा दुर्गावती प्रखंड में लगभग 11 हजार हेक्टेयर खेतों को पानी भी भरपूर मिलने लगेगा. क्योंकि, बरसात में जब कर्मनाशा नदी में पानी भरपूर होता है तो खेतों का पटवन भी ठीक से हो जाता है. लेकिन, बरसात के बाद कर्मनाशा नदी में पानी कम होने के साथ ही जमनियां नहर प्रमंडल के सभी पंप केनालों की स्थिति डंवाडोल हो जाती है. लेकिन जब गंगा की हिलोरें कर्मनाशा से मिलेगी, तो रामगढ़, दुर्गावती और नुआंव प्रखंड के कबिलासपुर, सराय, देवहलियां, कल्याणपुर, नरहन, सहुका, जंदाहा, जमुरना, अभैदे, बडौरा आदि कई गांवों में पटवन के बाद खुशहाली का नया मंजर दिखाई देगा. गौरतलब है कि जमनियां नहर प्रमंडल का नेटवर्क मोहनिया अनुमंडल में 68 किलोमीटर के रेंज में फैला हुआ है.

वर्षों से की जा रही मांग

जिले में जमनियां ककरैत घाट गंगा-कर्मनाशा लिंक परियोजना के धरातल पर उतारने की मांग किसान वर्षों से कर रहे हैं. इस संबंध में किसान यूनियन के अध्यक्ष हरी जी सिंह ने बताया कि पूर्व में यूपी और बिहार सरकार के एक डील के अनुसार जमनियां के गंगा से 560 क्यूसेक जल बिहार के ककरैत घाट तक लाकर कर्मनाशा नदी में छोड़ा जाना था. लेकिन, यह नहीं हो सका. इससे किसानों को पंप केनालों का पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने बताया बक्सर जिले के चौसा में जहां गंगा और कर्मनाशा का मिलन होता है, वहां से कर्मनाशा को गंगा का पानी देने की मांग हाल में ही पिछले साल कैमूर आये मुख्यमंत्री से मिलकर भी तथा आवेदनों के माध्यम से भी किसान यूनियन और किसान कर चुके हैं.

किसान कर रहे हैं नीतीश का इंतजार

किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य पंकज राय ने बताया इस बार मुख्यमंत्री के कैमूर यात्रा में गंगा-कर्मनाशा लिंक नहर योजना की सौगात मिलने की उम्मीद किसानों में जग गयी है और किसान इसका बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. भेरिया गांव के किसान विशाल विक्रम सिंह, सहुका गांव के किसान अरविंद कुमार, बराढी गांव के किसान विकास राय आदि ने बताया कि जमनियां नहर प्रमंडल के मुख्य नहर के आठ वितरणियों से रामगढ़ प्रखंड के 6095 हेक्टेयर खेत, दुर्गावती प्रखंड के 1400 हेक्टेयर खेतों का पटवन होना है. जबकि, जैतपुरा पंप केनाल के तीन वितरणियों से नुआंव प्रखंड के 1250 हेक्टेयर खेतों का नुआंव प्रखंड के तियरा पंप केनाल से 1655 हेक्टेयर से अधिक खेतों का पटवन होना है.

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