प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभ के बारे में दी गयी जानकारी
बिहार राज्य गंगा नदी संरक्षण कार्यक्रम प्रबंधन समिति के तत्वावधान में शुक्रवार को जिला कृषि भवन के सभागार में प्राकृतिक खेती का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया
By Rajeev Murarai Sinha Sinha | May 30, 2025 7:32 PM
लखीसराय
. बिहार राज्य गंगा नदी संरक्षण कार्यक्रम प्रबंधन समिति के तत्वावधान में शुक्रवार को जिला कृषि भवन के सभागार में प्राकृतिक खेती का एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. प्रशिक्षण शिविर का जिला कृषि पदाधिकारी सुबोध कुमार सुधांशु, सहायक निदेशक उद्यान राजीव रंजन, सहायक निदेशक शष्य के सौरव कुमार, प्रक्षेत्र उप निदेशक आत्मा रीतू नंदनी, सहायक अनुसंधान पदाधिकारी राजेश कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया. उद्घाटन समारोह के बाद डीएओ ने प्राकृतिक खेती के सिद्धांत एवं आवश्यकताओं पर कृषकों को संक्षिप्त जानकारी दी. प्रखंड तकनीकी प्रबंधक सुभाष कुमार ने प्राकृतिक खेती की आवश्यकता की जानकारी दी. प्राकृतिक खेती के घटक एवं मुख्य बातें भी बतायी गयी. प्राकृतिक खेती में उपयोग होने वाले प्राकृतिक खाद का निर्माण एवं इसके उपयोगिता के बारे में विस्तृत जानकारी दी गयी. साथ ही जैविक खेती एवं प्राकृतिक खेती करने वाले प्रगतिशील किसान राजेंद्र महतो द्वारा प्राकृतिक खेती के विभिन्न घटकों पर चर्चा करते हुए अपने क्षेत्र के अनुभव को प्रशिक्षण कार्यशाला में उपस्थित कृषकों के साथ साझा किया. उन्होंने प्राकृतिक खेती करने में जैविक खाद की तैयारी एवं इसके उपयोग से फसल उत्पादन प्रभाव के संबंध में विस्तृत जानकारी दी. कार्यशाला में प्राप्त लक्ष्य चयनित क्लस्टर कृषकों का चयन कृषि सखी का चयन जैविक संसाधन रिसोर्स सेंटर एवं स्थानीय प्राकृतिक खेती संस्था के संबंध में कृषकों को अवगत कराया, प्राकृतिक खेती में पोषण से भरपूर एवं लोगों के स्वस्थ रहने का बड़ा फार्मूला बताया गया और कहा गया कि स्वस्थ मिट्टी से खेतों की उर्वरक शक्ति का ह्रास नहीं होता है. कम लागत में भरपूर मुनाफा जैविक विविधता से स्वच्छ पर्यावरण के बारे में भी जानकारी दी गयी. प्राकृतिक खेती में होने वाले जीवामृत के बारे में भी बताया गया कि जीवामृत नाइट्रोजन पोटेशियम और फास्फोरस का अच्छा स्रोत है. इसमें उन सूक्ष्म में पोषक भी होते हैं, जो पौधे के विकास और वृद्धि में मदद करता है यह मिट्टी के पीएच को बनाये रखने में मदद करता है. मिट्टी के इरीगेशन में सुधार करता है, लाभकारी और बैक्टीरिया को बढ़ाता है. जीवामृत के सभी सामग्री सस्ती दर पर उपलब्ध है. यह ग्रामीण क्षेत्र में आसानी से उपलब्ध हो जाता है. कार्यशाला में कृषि समन्वयक शंकर कुमार, प्रवेश कुमार, कुणाल चंद्र राय, विकास अंश के अलावा किसान पिपरिया से साधना देवी, वलीपुर से नूतन देवी, सूर्यगढ़ा से रामसखी देवी, पिपरिया से संगीता देवी, मोहनपुर से अमन कुमार उपस्थित थे.
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