झंझारपुर. अड़रिया संग्राम स्थित डॉ. एपीजे अबुल कलाम आजाद आइटीआई परिसर में सेवानिवृत्त एचएम काशीनाथ झा किरण की अध्यक्षता में कवि गोष्ठी आयोजित हुई. पंडित लक्ष्मण झा के नौवीं पुण्यतिथि पर आयोजित साहित्यिक संगोष्ठी का डॉ. संजीव शमा के संचालन एवं अभ्युदय साहित्यिक मंच ननौर के तत्वावधान एवं समाजसेवी गौतम झा के संयोजकत्व में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ महाकवि कालिदास कहां और कब पुस्तक के रचयिता पंडित लक्ष्मण झा के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर किया गया. संस्था के अध्यक्ष डॉ. जयानंद मिश्र ने पंडित झा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी. कहा कि पंडित झा अपनी कालजयी रचनाओं को लेकर सदा अविस्मरणीय रहेंगे. उन्होंने अपने जीवनकाल में पुष्पांजलि, मैथिली में दो महाकाव्य गंगा एवं शांतिदूत के अलावा मूल संस्कृत रामायण का अंग्रेजी में पद्यानुवाद किया. साथ ही महाकवि कालिदास कहां और कब पुस्तक की रचना की. बताया कि उनके द्वारा अंग्रेजी में अनुदित रामायण जो अप्रकाशित है उसे शीघ्र प्रकाशित करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है. कार्यक्रम के दूसरे सत्र में आयोजित कवि गोष्ठी का आरंभ गजलकार आनंद मोहन झा ने अपनी रचना हम बात अपन मोनक ककरा स कहु कहबै, जे दर्द बुझय हमर से मीत कत तकबै से की. कवि डॉ. संजीव शमा ने देश के शहीदों के नाम ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित अपनी रचना जान देश लै, अपन परान देश लै, एहि माटिक हम जनमल बलिदान देश लै सुनाकर देशभक्ति का भाव जगाने में सफल रहे. कवि अजय कुमार दास ने सिंदूरक श्राप शीर्षक से अपनी रचना का पाठ किया. डॉ जयानंद मिश्र ने आमक मज्जर आमक टूकला आमक रसमे सार छै, आमक आमिल आमक अम्मट आमक सजल सचार छै कि सुंदर प्रस्तुति रही. कवि गौरीशंकर त्रिशूल ने मर्यादा शीर्षक से अपनी रचना का पाठ किया. युवा कवि राघव रमण ने हम नाचब ई हमर मोन कहैत अछि, प्रो सरोज ठाकुर ने श्रृंगारिक रचना अहां जे देखिके हमरा कनि बस मुस्किया देलिये, ने रहलहुं होशमे सरिपहुं नै जानि कि पीया देलियै गाकर खूब तालियां बटोरी. युवा कवि सौरभ झा, कुंदन झा, संस्था के सचिव अखिलेश झा ने भी प्रस्तुति दी. अध्यक्षता काशीनाथ झा किरण ने की. धन्यवाद ज्ञापन संयोजक समाजसेवी गौतम झा ने किया.
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