मधुबनी. बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के संशोधित एवं संवर्धित पाठ्यक्रम इसी महीने सभी विद्यालयों को उपलब्ध होगा. इसके लिए बोर्ड निरंतर प्रयत्नशील है. शुक्रवार को पाठ्यक्रम निर्माण उपसमिति की त्रिदिवसीय द्वितीय बैठक हुई. इससे पूर्व 11 एवं 12 जुलाई को पाठ्यक्रम का प्रारूप निर्माण किया जा चुका है. पाठ्यक्रम निर्माण समिति के सभी सदस्यों को पुष्पगुच्छ से स्वागत करते हुए अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार झा ने कहा कि संस्कृत विद्यालयों को सहज एवं व्यावहारिक पाठ्यक्रम शीघ्र उपलब्ध होने जा रहा है. समिति के सदस्यों से यह आग्रह किया गया है कि पाठ्यक्रम मानक युक्त छात्रोपयोगी एवं व्यावहारिक बनाएं. उन्होंने कहा कि 1985 में निर्मित पाठ्यक्रम अभी तक चल रहा है. वर्तमान में वर्ग एक से दस तक के पाठ्यक्रम को नैप 2020 को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है. विशेषज्ञ डॉ. रामसेवक झा ने कहा कि बिहार के मूर्धन्य विद्वान् पं. अम्बिकादत्त व्यास की प्रसिद्ध कृति शिवराजविजयम को पाठ्यक्रम में जगह दी दी गयी है. वहीं नैतिक शिक्षा के विकास के लिए श्रीमद्भगवद्गीता व धर्मशास्त्र के अध्ययन के लिए सदाचार पद्धति के कुछ प्रमुख अंशों को समाहित किया गया. वहीं अनिवार्य पत्र में हिन्दी, अंग्रेजी एवं सामान्य विज्ञान के अलावा ऐच्छिक विषय में व्यावसायिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए पौरोहित्य,कर्मकांड, ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, शारीरिक शिक्षा एवं योग, खेलकूद कंप्यूटर व आयुर्वेद विषय को समाहित किया गया है. पाठ्यक्रम निर्माण समिति में सदस्य के रूप में प्रो. श्रीपति त्रिपाठी, डॉ. रामसेवक झा, डॉ. विभूतिनाथ झा, पं. प्रजापति ठाकुर, निरंजन कुमार दीक्षित, चंद्रकिशोर कुमार व संयोजक अरूण कुमार झा उपस्थित थे. कार्यशाला में सहयोगी के रूप में भवनाथ झा, रुपेश कुमार भी बैठक में शामिल हुए.
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