मधुबनी लोकसभा : बीजेपी और राजद उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर, ‘MY’ समीकरण पर सबकी नजरें

लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में मधुबनी में 20 मई को मतदान होगा. इस सीट पर 2004 से बीजेपी लगातार जीतती आ रही है. लेकिन क्या इस बार भी भाजपा यहां जीत का परचम लहरा पाएगी. समझिए यहां का समीकरण

By Anand Shekhar | May 18, 2024 6:20 AM
an image

अनुज शर्मा, मुजफ्फरपुर

मधुबनी लोकसभा सीट पर 20 मई को मतदान है. यहां राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) और  भारतीय राष्ट्रीय विकासशील समावेशी गठबंधन ( इंडिया ) के उम्मीदवार पहली बार एक-दूसरे के खिलाफ लड़ रहे हैं. अशोक कुमार यादव (बीजेपी) निवर्तमान सांसद हैं और उनका मुकाबला राजद के अली अशरफ फातमी से है. दोनों उम्मीदवारों में कौन भारी है? कौन जीतेगा ? यह माय समीकरण (यादव- मुस्लिम वोटर) की टूट पर टिका है. चालू सियासी हवा में यह भांपा जा सकता है. वहीं, कई पद्म पुरस्कार हासिल कर दुनियाभर में कला-संस्कृति की पहचान बन चुके मधुबनी की मशहूर लोक गायिका मैथिली ठाकुर को इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने अपना आइकॉन बनाया है. ऐसे में यहां की जनता पर अपने मत के अधिकार का प्रयोग करने दायित्व बढ़ गया है.

2004 से लगातार जीत रही भाजपा

2009 और 2014 में बीजेपी के हुकुमदेव नारायण यादव ने यहां चुनाव जीता था.  2019 में उनके बेटे अशोक कुमार यादव ने लोकसभा चुनाव में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के बद्री कुमार पूर्वे को बड़े अंतर से हराया था. 2004 के बाद से लगातार जीतने के क्रम को भाजपा 2024 में भी बरकरार रखने को लड़ रही हैं. लेकिन राजद उम्मीदवार हुकुमदेव के गढ़ में  भाजपा को रोकने के लिए दल बल के साथ डटे हैं. दोनों उम्मीदवारों को एक दूजे से मिल रही टक्कर से एनडीए- इंडिया गठबंधन की हांफी निकली जा रही है. मौसम से अधिक राजनीति का तापमान बढ़ता जा रहा है.

‘MY’ समीकरण पर सभी की नजर

आल इंडिया रेडियो से रिटायर्ड मधुबनी निवासी वरिष्ठ पत्रकार आनंद मोहन इस चुनाव का स्थानीय समीकरण बारीकी से समझाते हैं. उनका कहना है कि यहां चुनाव का परिणाम यादव वोटों के बिखराव पर निर्भर है. 2019 की तरह इस बार भी यादव वोटर में बिखराव हुआ तो भाजपा जीत जायेगी. यदि बिखराव नहीं हुआ तो फातिमी मजबूत होंगे. अति पिछड़ा वोट की हवा एनडीए के पक्ष में बहती दिखाई दे रही 20 तक वह बह पाती है यह भी देखने की बात होगी. मुसलमान वोट बिल्कुल डटा हुआ है. उसकी बातों में ‘लालटेन’ जल रही है. ” 2019 में डॉ शकील अहमद निर्दलीय लड़े.  वह सवा लाख से अधिक वोट पाए थे. मुसलमानों ने उनको वोट किया था. इस कारण चुनाव हिन्दू- मुस्लिम हो गया था. यादव वोटर बंट गया था ” आनंद मोहन बताते हैं. यहां सात बार कांग्रेस जीती. भाजपा – सीपीआई हैट्रिक लगा चुके हैं. संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय लोकदल भी सफल रहे  हैं.

राजद और भाजपा में एक-एक वोट पर फाइट

मधुबनी में भाजपा और राजद में एक-एक वोट की लड़ाई है. 70 के दशक के बाद 2009 में यहां त्रिकोणीय टक्कर थी. एक तरफ केंद्रीय मंत्री रहे कांग्रेस के डॉ शकील अहमद थे. राजद से अब्दुल बारी सिद्दीकी थे. भाजपा ने 2004 की हार का बदला लेने के लिए  फिर से हुकुमदेव नारायण को उतारा था. 9927 वोटों  से जीते हुकुमदेव को 11.74% फीसदी वोट मिले थे. दूसरे नंबर पर रहे अब्दुल बारी सिद्दीकी को 154167 वोट मिले थे.  डॉ शकील अहमद को  111423 (7.97%) वोट मिले थे.  2014 में पूरे देश में मोदी लहर थी. यहां हुकुमदेव नारायण मात्र 20535 वोटों से जीते थे. 2019 में यादव वोटरों ने भाजपा का साथ दिया और अशोक यादव ने 4,54,940 मतों से जीत का रिकार्ड बनाया.बद्री कुमार पूर्वे को 140903 वोट  मिले थे. राजद के वोट काटने वाले डॉ शकील को 131530 वोट मिले थे.  

जाति की दीवार से थम गया बाढ़- विकास जैसा मुद्दा

प्रचार खत्म होने की तारीख आ गई है. मतदान कराने वाली पोलिंग पार्टियों की रवानगी के लिए प्रशासन शामियाना लगा चुका है लेकिन मधुबनी लोकसभा सीट के पूरे चुनाव में कोई मुद्दा नहीं उभरा है. स्थानीय निवासी पवन कुमार बताते हैं कि बाढ़, रोजगार शिक्षा कई बड़े मुद्दे हैं लेकिन जातीय राजनीति में यह मुद्दा दब गए हैं. इन समस्याओं के लिए किसी ने गंभीरता से प्रयास तक नहीं किया. जातीय गुणा- गणित में स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की समस्याएं गायब हैं.

लोकसभा क्षेत्र में जातीय जनसंख्या

मधुबनी लोकसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी संख्या ब्राह्मण वोटर की बताई जाती है. यह कुल वोटरों का करीब 35% हैं. 10 फीसदी संख्या निषाद वोटर है. वैश्य मतदाताओं की संख्या लगभग 6% है. एससी मतदाताओं की संख्या लगभग 237,182 है जो 2011 की जनगणना के अनुसार लगभग 12.7% है. मुस्लिम मतदाताओं की संख्या लगभग 449,753 है जो मतदाता सूची विश्लेषण के अनुसार लगभग 24.1% है. यादव 9.1%, ठाकुर 5.1%, पासवान 4.8% वोटर हैं. हालांकि यह रिकॉर्ड अनुमानित है.

विधान सभा सीटों पर दलगत स्थित

मधुबनी संसदीय क्षेत्र में विधान सभा की छह सीट हैं.  मधुबनी जिला में हरलाखी, बेनीपट्टी, मधुबनी, बिस्फी आती हैं.  केवटी और जाले विधानसभा सीट दरभंगा जिला का हिस्सा हैं.  हरलाखी से जेडीयू के सुधांशु शेखर, मधुबनी से समीर कुमार महासेठ (राजद) विधायक हैं. बाकी चार सीट भाजपा के खाते में हैं. जाले से पूर्व मंत्री जीवेश कुमार, केवटी से मुरारी मोहन झा , ,बिस्फी से हरिभूषण ठाकुर बचौल और बेनीपट्टी  से विनोद नारायण झा विधायक हैं.

मधुबनी लोकसभा क्षेत्र और वोटर

  • कुल मतदाता:  — 1934235
  • पुरुष मतदाता : — 1013971
  • महिला मतदाता : — 920173
  • तृतीय लिंग मतदाता : — 91

मैदान में कितने उम्मीदवार

  • पर्चा दाखिल : —    17
  • पर्चा खारिज  :— 5
  • मैदान में कितने प्रत्याशी : — 12

2019 में वोटर और मतदान

  • मतदाताओं की संख्या (2019): 1792798
  • महिला मतदाताओं की हिस्सेदारी (2019): 47.22%
  • महिला मतदाताओं की हिस्सेदारी (2019) : 59.98%

Also Read: ‘बिहार को लालटेन युग में ले जाना चाहती है राजद’ सारण में विपक्ष पर जमकर बरसे सीएम योगी आदित्यनाथ

संबंधित खबर और खबरें

यहां मधुबनी न्यूज़ (Madhubani News) , मधुबनी हिंदी समाचार (Madhubani News in Hindi), ताज़ा मधुबनी समाचार (Latest Madhubani Samachar), मधुबनी पॉलिटिक्स न्यूज़ (Madhubani Politics News), मधुबनी एजुकेशन न्यूज़ (Madhubani Education News), मधुबनी मौसम न्यूज़ (Madhubani Weather News) और मधुबनी क्षेत्र की हर छोटी और बड़ी खबर पढ़े सिर्फ प्रभात खबर पर .

होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version