मधुबनी: स्वास्थ्य विभाग एईएस व जेई के संभावित खतरे से निपटने की तैयारियों में जुट गया है. सोमवार को जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. डीएस सिंह की अध्यक्षता में स्वास्थ्य कर्मियों को एईएस-जेई सहित विभिन्न तरह के वेक्टर जनित रोग से बचाव की समीक्षा के साथ ही प्रशिक्षण दिया गया. इस अवसर पर डॉ. डीएस सिंह ने कहा कि एईएस व जेई यानी चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर-जानलेवा बीमारी है. एईएस व जेई, रोगग्रस्त बच्चों का सही समय पर उचित इलाज एवं प्रबंधन आवश्यक है. इस जानलेवा बीमारी के उचित प्रबंधन से संबंधित प्रशिक्षण सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य कर्मियों को दिया गया. डॉ. सिंह ने कहा कि चमकी बुखार व मस्तिष्क ज्वर का कुशल प्रबंधन जरूरी है. प्रारंभिक अवस्था में रोग की पहचान व इलाज से क्षति को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
रोग के लिहाज से अप्रैल व मई महीना बेहद संवेदनशील
वेक्टर नियंत्रण रोग पदाधिकारी साधना कुमारी ने कहा कि बीते वर्ष के सितंबर माह में जेई का जिले के बासोपट्टी प्रखंड में एक मरीज प्रतिवेदित हुआ था. इसके लिए सतर्कता जरूरी है. उन्होंने कहा कि अप्रैल से लेकर मई का महीना रोग के प्रसार के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है. यह रोग खासतौर पर 1 से 15 साल तक के बच्चों को प्रभावित करता है. कुपोषित बच्चे, बिना भरपेट भोजन किये रात में सोने वाले बच्चे, खाली पेट कड़ी धूप में लंबे समय तक खेलने, कच्चे व अधपके लीची का सेवन करने वाले बच्चों को यह बीमारी आसानी से अपनी चपेट में ले सकता है.
रोगग्रस्त बच्चों का उचित उपचार जरूरी
डॉ. डीएस सिंह ने स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को रोग प्रबंधन व उपचार से संबंधित विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि सिर में दर्द, तेज बुखार, अर्ध चेतना, मरीज में पहचानने कि क्षमता नहीं होना, भ्रम कि स्थिति होना, बेहोशी, शरीर में चमकी, हाथ व पांव में थरथराहट, रोगग्रस्त बच्चों का शारीरिक व मानसिक संतुलन बिगड़ना एईएस व जेई के सामान्य लक्षण हैं. इस लक्षणों के प्रकट होने से पहले बुखार भी हो सकता है और नहीं भी. ऐसे मामले सामने आने पर रोग ग्रस्त बच्चों का उचित उपचार जरूरी है. लिहाजा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर से लेकर सभी प्रमुख चिकित्सा संस्थानों में रोग के उचित प्रबंधन के उद्देश्य से एईएस इमरजेंसी ड्रग किट की उपलब्धता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है.
प्राणघातक बीमारी है एईएस व जेई
वीडीसीओ पुरुषोत्तम कुमार ने स्वास्थ्य अधिकारी व कर्मियों को रोग से जुड़े तमाम तकनीकी पहलुओं से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि एईएस व जेई एक प्राणघातक बीमारी है. सही समय पर रोग का उचित प्रबंधन नहीं होने से बच्चों की मौत भी हो सकती है. बैठक में सभी वेक्टर रोग नोडल पदाधिकारी, वीडीसीओ, सहयोगी संस्था सी-फार के प्रतिनिधि अमन कुमार, प्रखंड स्तर से वीएचआई, वीबीडीएसएम, बीएचडब्ल्यू सहित स्वास्थ्य कर्मी शामिल थे.
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