मधुबनी. बच्चों के मानसिक विकास बहुत कुछ अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षकों पर निर्भर करता है. साथ ही किताबें बच्चों को नये विचारों, अवधारणाओं और दृष्टिकोणों से परिचित कराती है. जिससे उनकी मानसिक क्षमता विकसित होती है. शिक्षक किताबों के माध्यम से अब छात्रों के माइंड फीड यानी मानसिक पोषण की भी समुचित व्यवस्था करेंगे. शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने और छात्रों की सोचने-समझने की क्षमता को सशक्त बनाने के उद्देश्य से बीइपी की ओर से बड़ी पहल की है. इस पहल के तहत जिले के सरकारी विद्यालयों में 16 तरह की उपयोगी किताबें भेजी जायेगी. ये पुस्तकें कक्षा 1 से 12 तक के छात्रों को तीन वर्गों 1-5, 6-8 और 9-12 में बांटकर उपलब्ध कराई जाएंगी. किताबों में कहानियों, सामान्य ज्ञान, पठन-पाठन सामग्री, नैतिक शिक्षा, जीवन कौशल और प्रेरणादायक लेखों को शामिल किया गया है. इसका मकसद छात्रों के ज्ञान को भोजन की तरह जरूरी मानते हुए उनके मन की भूख को शांत करना है. इस योजना को लेकर अधिकारियों ने बताया कि यह पहल शिक्षा में गुणवत्ता लाने की दिशा में एक ठोस कदम है. डीइओ अक्षय कुमार पांडेय ने कहा कि हमारा प्रयास यह है कि बच्चों को सिर्फ भोजन नहीं बल्कि पढ़ने और सोचने का अवसर भी मिले. यह प्रयास बच्चों को पढ़ने के लिए प्रेरित करेगा और तकनीकी युग में मोबाइल व टीवी से दूर कर उन्हें पुस्तकों से जोड़ने में सहायक होगा. बच्चों में आत्म अनुशासन, कल्पना शक्ति, संवाद क्षमता और निर्णय लेने की योग्यता में सुधार की उम्मीद की जा रही है. इस योजना के सफल क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका भी बेहद अहम होगी. शिक्षकों को इसके उपयोग की विधि बतायी जायेगी. ताकि वे बच्चों को सिर्फ पढ़ने तक सीमित न रखें. एमडीएम की तरह माइंड फीड भी बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है. इन किताबों में केवल शैक्षणिक विषयवस्तु ही नहीं बल्कि बच्चों के नैतिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास को ध्यान में रखकर सामग्री का चयन किया गया है. कहानियों के माध्यम से बच्चों को जीवन के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराया जायेगा. वहीं प्रेरणादायक लेखों से उनमें आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच का विकास होगा.
संबंधित खबर
और खबरें