Motihari : रक्सौल .पड़ोसी देश के नेपाल के सीमावर्ती वीरगंज शहर में स्थित ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहर श्री गहवामाई मंदिर से शुक्रवार को रथयात्रा पूरी श्रद्धा, उत्साह और भव्यता के साथ निकाली गयी. गहवामाई तीर्थ क्षेत्र विकास समिति तथा धार्मिक समन्वय समिति द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस तृतीय रथयात्रा में वीरगंज व इसके आसपास के इलाके के साथ-साथ भारत से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए थे. इसमें 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया. गहवामाई मंदिर के पुनर्निर्माण के 16 वें वार्षिकोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित यह यात्रा शुक्रवार की सुबह 8 बजे विशेष पूजा-अर्चना के साथ प्रारंभ हुई तथा रथ यात्रा के निर्धारित मार्ग घंटाघर चौक, रेलवे रोड, नगवा, छपकैया छठ घाट चौक, बिर्ता, आदर्शनगर, महावीरस्थान होते हुए यात्रा पुनः गहवामाई मंदिर परिसर में पहुंच कर संपन्न हुई. रथयात्रा की गरिमा को न केवल वीरगंज के स्थानीय नागरिकों ने बल्कि पर्सा, बारा, रौतहट, सर्लाही, मकवानपुर, चितवन और काठमांडू जिलों से आए श्रद्धालुओं ने भी बढ़ाया. सीमावर्ती भारतीय शहरों रक्सौल, मोतिहारी, बेतिया, रामगढ़वा और अरेराज से भी भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे. नगरवासियों ने विभिन्न स्थानों पर रथ का पुष्पवर्षा कर और श्रद्धालुओं को पानी, जूस आदि उपलब्ध कराकर भव्य स्वागत किया. श्रद्धालु भगवा और लाल वस्त्र धारण कर “जय गहवामाई ” के जयघोष से वातावरण को भक्तिमय बनाते रहे. वीरगंज महानगरपालिका ने इस अवसर पर सभी विद्यालयों में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की थी. नगर प्रमुख राजेशमान सिंह ने रथयात्रा को धार्मिक और सांस्कृतिक पर्यटन के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक अहम कदम बताया. उन्होंने अगामी वर्षों से रथयात्रा हेतु विशेष बजट आवंटित करने की भी घोषणा की. यात्रा की सुरक्षा व्यवस्था जिला प्रशासन कार्यालय, जिला प्रहरी कार्यालय तथा सशस्त्र प्रहरी बल नं. १३ गण द्वारा सुनिश्चित की गई थी. सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों की तैनाती से कार्यक्रम शांतिपूर्ण रूप से सम्पन्न हुआ. कार्यक्रम के सचिव पप्पु गुप्ता ने इसे मधेश प्रदेश की पहली सांस्कृतिक झांकी युक्त रथयात्रा बताया. यात्रा के साथ छप्पन भोग, भजन-कीर्तन, महाप्रसाद वितरण तथा भव्य भंडारा का आयोजन भी किया गया. श्री गुप्ता के अनुसार, शुक्रवार शाम 7 बजे से छप्पन भोग प्रसाद, शनिवार सुबह 6 बजे से महाप्रसाद वितरण और शाम 4 बजे से भंडारे का आयोजन किया जाएगा. इन कार्यक्रमों में लाखों श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है. समिति अध्यक्ष श्यामकुमार पोखरेल के अनुसार, रथयात्रा एवं महोत्सव का अनुमानित खर्च 25 लाख रुपये है. कार्यक्रम को और प्रभावशाली बनाने हेतु रक्तदान शिविर और स्वास्थ्य जांच शिविर जैसे सामाजिक गतिविधियां भी आयोजित की गईं. समिति ने सम्पूर्ण आय-व्यय का विवरण पत्रकार वार्ता के माध्यम से सार्वजनिक करने की घोषणा की है. यह रथयात्रा न केवल धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक बनी, बल्कि इसने धार्मिक पर्यटन को प्रोत्साहन, सनातनी संस्कृति के संरक्षण और सामाजिक एकता को सुदृढ़ करने का कार्य भी किया. आयोजकों का विश्वास है कि यह यात्रा आने वाले वर्षों में और अधिक भव्यता के साथ आयोजित होती रहेगी. रथ यात्रा के दौरान देवी भक्ति गीतों पर भक्त झुमते रहें और रथ यात्रा के दौरान आकर्षक झांकी लोगों का मन मोह रही थी. तीन दिवसीय उत्सव में आज छप्पन भोग का प्रसाद मां को चढ़ाया जायेगा, इसके बाद शनिवार को महाप्रसाद का वितरण होना है.
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