संग्रामपुर. भगवान शिव व विष्णु एक दूसरे के उपासक हैं. हरियाणा से पधारे कथावाचक रामजी भाई शास्त्री ने लक्ष्मीपुर स्थित वैष्णवी चैती दुर्गा मंदिर में रामनवमी के अवसर पर आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्री शिव महापुराण कथा के सातवें दिन शनिवार को श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों न केवल एक-दूसरे के उपासक हैं, बल्कि उनके भक्तों के बीच भी यह संबंध विशेष महत्व रखता है. कथा अनुसार, वाणासुर ने शिव की तपस्या कर सहस्र भुजाओं का वरदान पाया और शक्ति के घमंड में वह चूर हो गया. उसकी पुत्री उषा ने स्वप्न में श्रीकृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध को देखा और उससे प्रेम कर बैठी. मायावी विद्या से अनिरुद्ध को उषा के पास लाया गया. यह देख वाणासुर क्रोधित हो गया. उसने अनिरुद्ध को नागपाश में बांध लिया. श्रीकृष्ण को जब यह ज्ञात हुआ तो वे सेना सहित वाणासुर की राजधानी पहुंचे और दोनों के बीच युद्ध शुरू हाे गया. हारता देख वाणासुर ने शिव को पुकारा. तब शिव प्रकट हुए और श्रीकृष्ण से युद्ध किया. अंत में श्रीकृष्ण ने शिव से कहा कि वाणासुर की हार विधि का विधान है. शिव सहमत हुए और युद्ध से हट गए. इसके बाद श्रीकृष्ण ने वाणासुर की चार भुजाएं छोड़कर बाकी अंग काट दी. इसके बाद वाणासुर ने क्षमा मांगी और अनिरुद्ध का विवाह उषा से करवा दिया. कथा के सफल संचालन में ग्रामीण सौरभ, रवि, चीकू, राहुल, साजू, बादल, ईशु, गौतम, राकेश सहित अन्य काफी सहयोग कर रहे हैं.
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