मुंगेर. पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने वाला मुंगेर जिले के लड़ैयाटांड थाना क्षेत्र के पहाड़ व जंगल में बसा पेसरा गांव निवासी भोला कोड़ा मात्र 22 वर्ष का है. उसका शुरुआती जीवन काफी कष्टदायक रहा. खेलने व पढ़ने की उम्र में नक्सलियों ने कलम की जगह हथियार थमा दिया. इस कारण वह बचपन से ही अपने समाज का दुश्मन बन गया. उम्र बढ़ने के साथ-साथ उसकी समझदारी भीबढ़ी. नक्सलियों की ओर से आए दिन चलाए जा रहे असामाजिक गतिविधियों ने उसकी अंतरआत्मा को काफी ठेस पहुंचाया. अंतत: समाज की मुख्य धारा में वापस लौटने के लिए उसने पुलिस के समक्ष आत्मसर्पण कर दिया.
महज 10 साल की उम्र में भोला कोड़ा को उठा
ले गया था कुख्यात नक्सली सुरेश कोड़ा
भोला कोड़ा के पिता मनोज कोड़ा उर्फ बुधु कोड़ व उसकी मां सूलो देवी ने बताया कि गांव में गरीबी छायी थी. बाहर की दुनियां हमलोगों ने नहीं देखी. गांव में अशिक्षा फैली थी. मेरा बेटा भोला उस समय करीब 10 साल का था. गांव का सुरेश कोड़ा उसे अपने साथ ले जाकर नक्सली संगठन में शामिल करवा दिया. भोला ने बताया कि उसका बड़का बाबू (गांव के रिश्ते का चाचा ) सुरेश कोड़ा उसे ले गया था. उसे पता भी नहीं था कि नक्सल क्या होता है. दो वर्ष बीतने के बाद उसे परवेज दा और अरविंद यादव नामक व्यक्ति से मिलाया गया. भोला उसी के साथ रहने लगा. उसने बताया कि महज 15 वर्ष में उसके हाथों में हथियार थमा दिया गया. जंगलों में उसे हथियार चलाने का ट्रैनिंग दी गयी. वह आदिवासी भाषा जानता है. थोड़ी हिंदी की समझ भी है. फुल्का हिंदी बोलना जानता है, पढ़ना नहीं. कहा कि आज तक नक्सली संगठन ने उसे कभी भी एक पैसा नहीं दिया.
कई आपरेशन में कबूली अपनी संलिप्तता, एसएलआर चलाने में था माहिर
भोला कोड़ा ने बताया कि उसे जंगल में हथियार चलाने के साथ ही किस तरह नक्सली ऑपरेशन को अंजाम दिया जाता है. उसकी भी जानकारी उसे दी गयी. जिसके बाद वह नक्सलियों के मारक दस्ता में शामिल हो गया. वह हर तरह का हथियार चला लेता है. एसएलआर चलाने में वह माहिर है. उसने बताया कि वर्ष 2021 में लखीसराय जिला के कजरा थाना क्षेत्र में इमलिया कोल में लेवी न देने के कारण सड़क निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को मारकर भगाने व वाहन जलाने की घटना में शामिल था. वर्ष 2022 में कुरवा पहाडी पर नलरोधी अभियान में लगे सुरक्षा बलों पर गोलीबारी करने व अंबुश में फसाकर जानलेवा हमला किया था. 21 अप्रैल 2025 को झारखंड के बोकारो के महुआटांड थाना क्षेत्र में लुगु पहाड़ के चोरगामा-मुरपा पर हुए पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में वह शामिल था. जिसमें बिहार राज्य के जमुई जिला के अरविंद यादव उर्फ अविनाश उर्फ नेताजी, लखीसराय के टुन्नी लाल कोड़ा सहित कई नक्सली मारे गये. उस मुठभेड़ में भोला भागने में सफल रहा था. इसके अलावे वह बिहार व झारखंड के राज्य के सुरक्षा बलों के साथ कई भीषण मुठभेड़ में शामिल था. क्योंकि वह मारक दस्ता का सदस्य था. उस पर मुंगेर के लड़ैयाटांड व खड़गपुर थाना में तीन, लखीसराय के कजरा में दो, जमुई के बरहट में एक, झारखंड में दो मामला दर्ज है.
अपना, अपने परिवार और समाज के लिए काम करेंगा भोला
कहते हैं एसपी
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एसटीएफ साथ पहुंचा पुलिस अधीक्षक कार्यालय, माला पहना कर हुआ स्वागत
मुंगेर.
एसटीएफ डीएसपी सुनील कुमार शर्मा अपनी टीम के साथ कुख्यात नक्सली भोला कोड़ा को लेकर पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचे. कार्यालय कक्ष मेंं उसने खुद को एसपी के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. एसपी ने फूल माला पहना कर व अंग देकर सम्मानित किया. जबकि आत्मसमर्पण करने में ब्रेनवास करने वाले पिता मनोज कोड़ा, माता सुलो देवी, तीन भाई और दो बहनों को भी माला पहना कर सम्मानित किया. एसपी ने बताया कि भोला ने सरकार के द्वारा उग्रवादियों के आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत आत्मसमर्पण किया है. जिसके कारण इनाम की दो लाख की राशि इसको दी जाएगी. समर्पण सह पुनर्वास नीति के तहत देय अन्य सुविधाओं के साथ ही 2.50 लाख इनके खाते में दिया जाएगा. रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण भत्ता अधिकतम 36 माह तक 10 हजार रूपये स्टाइफन के रूप में वित्तीय सहायता दी जाएगी.भोला की निशानदेही पर पिस्टल, मैगजीन सहित अन्य समान बरामद
मुंगेर.
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