बीआरएम कॉलेज में समकालीन पत्रकारिता पर सेमिनार का आयोजन
मुख्य अतिथि ने कहा कि मैं जब भी कहीं कुछ बोलने जाता हूं तो यह देखता हूं कि किस प्रकार के लोग सुनने वाले हैं. इसे देखना इसलिए कि हम कई तरह के पाबंदियों पर बोल रहे हैं. सबसे पहले मुझे लगता है कि आपकी वैचारिक समझ की पहचान जरूरी है और यह पहचान स्पष्टवादिता से होगी. स्पष्टवादिता तब आती है जब आम आदमी के हक में हम सोचते हैं. डॉ रामरेखा कुमार ने कहा कि आज की पत्रकारिता के बारे में हमारी छात्राएं समकालीन संदर्भों को समझ सकें और इस संबंध में जरूरी बात हो सके. प्रभारी प्राचार्य ने कहा कि पत्रकारिता की अस्मिता लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा से जुड़ा है. जनता की मूल भावना की रक्षा से संबंधित है. समकालीन पत्रकारिता से जुड़े कुछ प्रश्न हैं, जिस पर विचार करने की आवश्यकता है. डॉ अभय कुमार ने कहा कि विश्व और भारत के संदर्भ में पत्रकारिता के रचनात्मक पक्ष रहे हैं. यह ऐसा क्षेत्र है जो चौथा स्तंभ कहलाता है, जिससे जनता और सत्ता सीधे प्रभावित होती है. डॉ श्याम कुमार ने कहा कि पत्रकारिता सरकार से जनता के सवालों को लेकर सीधा संवाद करती है, जिसकी चुनौती पत्रकार झेलते हैं. गौरी लंकेश, राकेश सिंह, सूरज पांडे, उदय पासवान, रतन सिंह, विक्रम जोशी, फराज असलम और शुभम मणि त्रिपाठी सहित कई पत्रकारों की हत्या कर दी गयी थी, जिसके बलिदान से यह सोचा जाना चाहिए कि आज समकालीन पत्रकारिता की क्या चुनौतियां हैं. मौके पर डॉ वंदना पटेल, शबा, नेहा परवीन, श्रद्धा, ऋद्धि, अपर्णा, कोमल, रचना, अनामिका आदि छात्राएं मौजूद थी.
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