उदासीनता : अधर में एमआरएफ सेंटर योजना, मुंगेर में नहीं हो रहा कचरा का प्रबंधन

एमआरएफ सेंटर शहर के चुरंबा स्थित डंपिंग यार्ड में स्थापित किया जायेगा. क्योंकि वहां निगम की 11 एकड़ से अधिक जमीन है.

By BIRENDRA KUMAR SING | May 27, 2025 6:49 PM
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– चुरंबा स्थित डंपिंग यार्ड में मेटेरियल रिकवरी फैसलिटी(एमआरएफ) लगाने की थी योजना

मुंगेर

डीपीआर तक ही सिमटी है एमआरएफ सेंटर की योजना

एक बार फिर निगम ने बजट में किया गया प्रावधान

नगर निगम की ओर से वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश किया गया. जिसमें निगम ने कचरा निष्पादन के लिए एमआरएफ साइड बनाने का निर्णय लिया है. इस पर 9.87 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रावधान रखा है. बावजूद इसके मामला डीपीआर तैयार करने में सिमटा हुआ है.

प्रतिदिन शहर से निकल रहा 100 टन कचरा, प्रबंधन का इंतजाम नहीं

मुंगेर : मुंगेर नगर निगम 45 वार्ड में फैला हुआ है. जिससे प्रतिदिन 90 से 100 टन कचरा निकल रहा है. जिसे विभिन्न वार्ड से संग्रह कर शहर के अस्थाई डंपिंग यार्ड में जमा किया जाता है. जिसके बाद उन कचरों को ट्रैक्टर व टीपर पर लाद कर चुरंबा स्थित डंपिंग यार्ड में जमा कर दिया जाता है. लेकिन कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नहीं होने से धीरे-धीरे वहां कचरा का पहाड़ खड़ा हो गया है. हालांकि आईटीसी सुनहरा कल की ओर से गीला कचरा से जैविक खाद तैयार करने का काम किया जा रहा है. जो प्रतिदिन जमा होने वाले कचरों के पांच से छह प्रतिशत गीला कचरों को भी अपने में समाहित कर पाता है. बांकी कचरा यू ही डंपिंग यार्ड में फेंक दिया जाता है.

कचरों के पहाड़ से उठ रहे दुर्गंध व धूल से बीमार हो रहे लोग

क्या है एमआरएफ सेंटर

कहते हैं पदाधिकारी

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कहते हैं परेशान क्षेत्रवासी

नगर निगम ने डंपिंग यार्ड घनी आबादी के बीच स्थापित किया है. जहां खुले आकाश के नीचे कचरा का पहाड़ खड़ा है. क्योंकि कचरा प्रबंधन का कोई व्यवस्था नहीं है. इसके आस-पास रहने वाले लोग कई तरह की बीमारी के शिकार हो रहे है. इसे अविलंब यहां से हटाना चाहिए.

डंपिंग यार्ड के कारण यहां नीचे का पानी दूषित हो गया है. जो पीने योग्य नहीं है. इसके आस-पास बसे गांवों के लोगों के लिए पानी एक बड़ी समस्या बन गयी है. बोतल बंद पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है. जो गरीबों के बस की बात नहीं है.

डंपिंग यार्ड में लगे कचरों के ढेर से निकलने वाली दुर्गंध और धूल गांवा वालों के साथ ही इधर से गुरजने वालों को लोगों को परेशान कर रही है. बारिश के दिनों में परेशानी काफी बढ़ जाती है. घनी आबादी से कचरा का स्थान नगर निगम को परिवर्तित करना चाहिए.

कचरा के ढेर में साल में एक-दो बार आग जरूर लग जाती है. कचरों में जमा प्लास्टिक जब जलता है तो उससे निकलने वाला विषैला धुंआ से हमलोग परेशान हो जाते हैं. जब तक आग पर काबू पाया जाता है, तब तक कई लोग बीमार होकर अस्पताल पहुंच जाते है.

कचरों से उठ रहे दुर्गंध से बचने के लिए लोगों को नाक पर रूमाल रख कर गांव में घूमना पड़ता है. जबकि मच्छरों का आंतक खास कर गर्मी में काफी परेशान करता है. डंपिंग यार्ड से प्लास्टिक की थैली उड़ कर घरों तक आ जाती है.

नगर निगम की गाड़ी जब कचरा लेकर डंपिंग यार्ड आती है तो कचरा रास्ते में गिरता जाता है. क्योंकि कचरा की ढुलाई खुले में गाड़ी से किया जाता है. जिसको स्थानीय लोगों विरोध भी करते है. लेकिन पुलिस का भय दिखाया जाता है.

चुरंबा स्थित डंपिंग यार्ड में कचरा का पहाड़ लगा हुआ है. कचरा निष्पादन की कोई व्यवस्था नहीं रहने के कारण उसमें आग लगा कर निगम के कर्मी कचरा को कम करने का प्रयास करते है. कचरा में आग लगने पर आस-पास के आधे दर्जन गांवों में रहने वाले लोगों को काफी परेशानी होती है.

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