
उपमुख्य संवाददाता, मुजफ्फरपुर विश्व मातृ दिवस के अवसर पर आमगोला स्थित शुभानंदी परिसर में डॉ पूनम सिंह की अध्यक्षता में संवाद व काव्यांजलि का आयोजन किया गया, जिसमें मां को ईश्वर का प्रत्यक्ष रूप बताया गया. विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ संजय पंकज ने कहा कि मां ईश्वर का प्रत्यक्ष रूप है, जहां से हमें संस्कार और संस्कृति मिलती है. कार्यक्रम की शुरुआत मां प्रतिभा सिन्हा के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पण और डॉ सोनी सुमन की सरस्वती वंदना से हुई. डॉ पूनम सिंह ने कहा कि संतान मां का ही विस्तार है और मां से ही हमें ताजगी, ऊर्जा और जिजीविषा मिलती है. आयोजन के दूसरे सत्र में कवियों ने मां पर केंद्रित रचनाएं प्रस्तुत की. कुमार राहुल ने भूल न जाना जिंदा रखना, जख्म पुराना जिंदा रखना सुनाकर संवेदना का भाव उत्पन्न किया तो सरोज कुमार वर्मा ने मां है तो लोरी है शगुन है, गीत है उत्सव है, मंदिर है मोक्ष है सुनाकर मां के व्यक्तित्व को चित्रित किया. लोकनाथ मिश्र ने जीवन संघर्षों में मां के महत्व को दर्शाती कविता सुनाई, जबकि वीरेंद्र कुमार वीरेन ने मातृ भाव को चित्रित किया. सविता राज ने अपनी गजल में मां की खूबियों का वर्णन किया और विजय शंकर मिश्र ने दुख में साथ निभाने वाली जग में केवल मां होती है गीत सुनाकर सभी को भावुक कर दिया. डॉ कुमारी अनु ने मां के वात्सल्य भाव को गीत में चित्रित किया. संजय पंकज ने मां केंद्रित दोहों, गीतों और मुक्त छंद कविताओं का पाठ किया. इस मौके पर डॉ अविनाश तिरंगा, मुकेश त्रिपाठी, प्रेमभूषण, चैतन्य चेतन, अनुराग आनंद, राकेश कुमार सिंह, माला कुमारी मौजूद रहीं. धन्यवाद ज्ञापन डॉ प्रियंका ने किया.
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