
– सड़क दुर्घटना के आंकड़े को पोर्टल पर अपलोड करने की स्टेप बाइ स्टेप दी गयी जानकारी – डीएम के निर्देश पर डीटीओ ऑफिस में दिया जा रहा प्रशिक्षण वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर सड़क दुर्घटना में मृत लोगों के परिवहन विभाग को समय पर मुआवजा भुगतान के लिए आइरेड और इ-डार पर दुर्घटना संबंधित रिपोर्ट थाना द्वारा अपलोड करनी होती है. इस संबंध में स्टेप बाइ स्टेप जिले के सभी थानों के पुलिस पदाधिकारी व ऑपरेटर को अंतिम दिन बुधवार को भी प्रशिक्षण जारी रहा. चार दिनों तक चले इस प्रशिक्षण में सभी को प्रशिक्षण दिया गया. इस ऑनलाइन एप पर सड़क दुर्घटना की रिपोर्ट के अपलोड नहीं होने के कारण मृतक के परिवार को मुआवजा भुगतान में विलंब होता है. डीएम की अध्यक्षता में सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में यह सामने आयी तो पता चला कि थाना स्तर पर रिपोर्ट अपलोड में परेशानी हो रही है. तो इसके बाद डीएम के आदेश पुन: जिले के सभी थानों के पुलिस पदाधिकारी व ऑपरेटर को फिर से प्रशिक्षण दिया जा रहा है. डीटीओ कुमार सत्येंद्र यादव ने बताया कि डाटा अपलोड नहीं हो पाने के कारण मुआवजा भुगतान में विलंब होता है. मुख्यालय से वीसी के दौरान सख्त निर्देश दिये गये है कि पीड़ित पक्ष को शीघ्र मुआवजा उपलब्ध कराने की दिशा में कार्रवाई की जाये. इसके बाद वरीय अधिकारियों के निर्देश पर एक बार फिर पुलिस पदाधिकारियों को प्रशिक्षण दिया गया, ताकि समय से मुआवजा का भुगतान किया जा सके. प्रशिक्षक हिमांशु कुमार ने इन सभी को प्रशिक्षण सत्र में फॉर्मेट एक से दस तक सही से भरने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानकारी दी. केस के आइओ को इस फॉर्म को सही भरना है. इस पोर्टल के पीछे सरकार का मकसद यह है कि पीड़ित परिवार के लोगों को मुआवजा भुगतान में ज्यादा परेशानी ना हो. आवेदन भरने के बाद जिला परिवहन कार्यालय द्वारा मृतक के आश्रित के खाते में मुआवजा राशि का भुगतान किया जा रहा है. सड़क दुर्घटना में दो तरह के मामले होते हैं. पहला हिट एंड रन का, इसके तहत जिस गाड़ी से दुर्घटना होती है उसकी कोई जानकारी नहीं होती है. इसमें मृतक परिवार के आश्रित को सीधे इस रिपोर्ट के आधार पर मुआवजा राशि का भुगतान होता है. दूसरा मामला नन हिट एंड रन का होता है. इसमें दुर्घटना वाले गाड़ी की जानकारी होते है. इसमें मृतक के आश्रित को परिवहन विभाग द्वारा प्रमंडल स्तर पर गठित ट्रिब्यूनल में आवेदन करना होता है. ट्रिब्यूनल के अध्यक्ष जो कि रिटायर्ड जज होते है वह मृतक के परिवार के लैबलिटी को देखते हुए दुर्घटना करने वाले वाहन मालिक पर मुआवजा की राशि तय करते हैं.
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