गांवों में अब नहीं सुनायी देते कजरी के बोल

NAWADA NEWS.एक समय था, जब आसमान में काले बादलों के छाने पर हर जगह कजरी की धुन सुनाई पड़ने लगती थी. लेकिन, अब सब कुछ बदला-बदला सा दिख रहा है. यही कारण है कि लोक गीतों की रानी कजरी को भूलने लगे हैं. कजरी सिर्फ गायन नहीं, बल्कि बारिश के मौसम की सुंदरता और उल्लास को शब्दों से पिरोने का माध्यम भी था

By Vikash Kumar | July 19, 2025 5:04 PM
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आषाढ़ मास के अंत व सावन महीना की शुरुआत से होती थी कजरी

प्रतिनिधि, वारिसलीगंज

क्या कहते हैं लोग

-डॉ गोविंद्र तिवारी, सेवानिवृत शिक्षक

-लक्ष्मी नारायण सिंह, ठेरा गांव

-प्रभु प्रसाद, मुखिया,मोहिउद्दीनपुर पंचायत,वारिसलीगंज.

-श्याम सुंदर कुशवाहा, हाजीपुर

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