प्राकृतिक सौंदर्य पर बारिश का कहर
प्रतिनिधि, गोविंदपुर.
पर्यटकों ने कहा कि गर्मी में लंबी दूरी तय करने के बाद भी झरने तक नहीं पहुंच सके. कुछ परिवार छोटे बच्चों के साथ आये थे और वे मायूस लौटते नजर आये. स्थानीय सूत्रों के अनुसार, बारिश के कारण ककोलत की जलधारा में मटमैलापन आ गया है. पहाड़ी क्षेत्रों से बहकर आयी मिट्टी, पत्ते, प्लास्टिक कचरे और बालू की वजह से झरने का पानी गंदा हो गया है. कुंड परिसर में भी बालू और कीचड़ का जमाव हो गया है. इससे स्नान की सुविधा प्रभावित हुई है. जलप्रपात की ओर जाने वाले मार्ग में एक बड़ा पेड़ गिर गया है, जिससे आवाजाही बाधित हो गयी है.
वन विभाग की टीम मौके पर तैनात है और हालात पर लगातार नजर रखे है. वन कर्मियों ने बताया कि पर्यटकों की सुरक्षा को ध्यान में रख गुरुवार को झरने में अस्थायी रूप से प्रवेश पर रोक लगायी गयी है. जलधारा में बहाव सामान्य होगा, तो मार्ग से पेड़ को हटा कर कुंड परिसर की सफाई करायी जायेगी. स्थल को दोबारा पर्यटकों के लिए खोल दिया जायेगा. मॉनसून में इस तरह की घटनाएं यह बताती हैं कि प्राकृतिक पर्यटन स्थलों पर सतर्कता और मजबूत व्यवस्था की कितनी आवश्यकता होती है. बारिश के कारण होने वाले अचानक बदलावों के प्रति स्थानीय प्रशासन और पर्यटकों दोनों को सचेत रहना चाहिए. बारिश के दिनों में अक्सर पहाड़ी क्षेत्रों पर मूसलाधार बारिश होने पर ककोलत परिसर में बाढ़ आ जाया करती है.
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