रजौली. प्रखंड परिसर स्थित इ-किसान भवन में शनिवार को खरीफ महाभियान 2025 का आयोजन किया गया. इसमें किसानों को उन्नत खेती करने के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी. इस मौके पर प्रखंड प्रमुख सरोज देवी, बीडीओ संजीव झा, सीओ मो गुफरान मजहरी, प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी धनंजय कुमार व प्रशिक्षु प्रखंड कृषि पदाधिकारी चंदन बागची के अलावा दर्जनों किसान मौजूद रहे. इस दौरान किसानों को उन्नत कृषि तकनीकों से अवगत कराकर कम लागत में खरीफ फसलों की खेती करने के गुण सिखाये गये. प्रशिक्षु प्रखंड कृषि पदाधिकारी चन्दन बागची ने बताया कि खरीफ फसल के लिए बीज का वितरण प्रारंभ कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि प्रत्येक राजस्व ग्राम से पांच किसानों को 90 प्रतिशत अनुदानित दर पर गुणवत्तापूर्ण बीज उपलब्ध कराया जा रहा है. इसके लिए किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. वहीं, प्रभारी प्रखंड कृषि पदाधिकारी धनंजय कुमार ने किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन वाली उन्नत खेती की तकनीकों की जानकारी दी. साथ ही किसानों को उन्नत बीज के बुआई के तरीके एवं फसल चक्र की जानकारी दी. उन्होंने सही तकनीक से खेती करने पर उत्पादन लागत से कई गुना अधिक मुनाफा कमाने के गुर सिखाए. सीओ मो. गुफरान मजहरी ने कहा कि किसानों को लाभ लेने के लिए उन्हें अपना रजिस्ट्रेशन करवाना चाहिए. साथ ही कहा कि आपके आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्र और जमाबंदी में आपका नाम बेमेल है, तो आपको सरकारी लाभ नहीं मिल सकेगा. आधार कार्ड और जमाबंदी में एक ही नाम हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए आप अपने पहचान पत्र को जमाबंदी के अनुसार जरूर कर लें और अपना रजिस्ट्रेशन करवा लें. बीडीओ संजीव झा ने कहा कि मौसम परिवर्तन के कारण कृषि के तरीके में काफी बदलाव आ रहा है. कृषि विभाग द्वारा समय के बदलाव के साथ उचित कृषि व्यवस्था भी की जा रही है, जिसको लेकर किसानों को जागरूक करने के लिए अनेकों कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. ताकि हमारे किसानों की आय में बढ़ोत्तरी हो. बीडीओ ने बताया कि हमारे यहां जीवन निर्वाह कृषि का प्रचलन है. पंचायतों में धान खरीद के लिए पैक्स अध्यक्ष की व्यवस्था की गयी, ताकि किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीदारी हो सके. साथ ही किसानों से यूरिया के जगह पर जैविक खाद व रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग कम करने को कहा है. कार्यक्रम की समाप्ति पर किसानों के बीच ढ़ैंचा के बीज का वितरण किया गया. साथ ही बताया गया कि ढ़ैंचा का उपयोग वहां करना है, जिन खेतों में अधिक मात्रा में उर्वरक का उपयोग किया गया हो.
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