मतदाता सूची जागरूकता अभियान के लिए मजलिस-ए-उलेमा की 16 गांवों में बैठक कैप्शन- बैठक करते संस्थान के सदस्य. प्रतिनिधि, नवादा कार्यालय चुनाव से पहले, 24 जून को, चुनाव आयोग ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) का आदेश जारी किया था और इसकी अवधि केवल एक महीने, यानी 25 जून से 25 जुलाई तक रखी गयी. मसौदा सूची एक अगस्त को जारी की जायेगी. आपत्तियों और शिकायतों के समाधान के लिए एक महीने, यानी 31 अगस्त तक का समय है. अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जायेगी. बिहार में ही, विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) 2003 में हुआ था. इसलिए, जिन लोगों के नाम 2003 की मतदाता सूची में हैं, उनके लिए आधुनिक मतदाता सूची में शामिल होने के प्रमाण के रूप में उसकी एक फोटोकॉपी पर्याप्त करनी होगी. जिन लोगों के नाम 2003 की सूची में नहीं हैं, उन्हें निर्धारित 11 प्रमाणों में से कोई एक प्रस्तुत करना होगा. यह स्पष्ट किया गया है कि आधार कार्ड, राशन कार्ड या मतदाता पहचान पत्र को प्रमाण के रूप में स्वीकार नहीं किया जायेगा. मतदाता बनने के लिए भारतीय नागरिकता का प्रमाण देना होगा. मजलिस उलेमा के उपाध्यक्ष मुफ्ती सबाहुद्दीन फलाही ने ये बातें कहीं. 1987 के बाद 2003 तक जन्मे लोगों को अपने माता-पिता में से किसी एक का प्रमाण लगाया गया है. मजलिस उलेमा के कार्यालय सचिव मुफ्ती इनायतुल्लाह कासमी ने बताया कि बिहार रविता कमेटी के सहयोग से मजलिस ए उलमा वल उम्मह जिला नवादा का एक प्रतिनिधिमंडल ने सभी 12 प्रखंडों में जाकर बैठकें कीं और लोगों को इस मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया का महत्व समझाया. इनायतुल्लाह कासमी ने बताया कि संगठन ने लगातार चार दिनों तक 12 ब्लॉकों में 16 जगहों पर बैठकें कीं.
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