Home बिहार पटना National Doctors Day: हॉबीज के जरिए स्ट्रेस को मात देने वाले डॉक्टर्स बोले- तनाव को कम करना है, तो अपने शौक को जिंदा रखें

National Doctors Day: हॉबीज के जरिए स्ट्रेस को मात देने वाले डॉक्टर्स बोले- तनाव को कम करना है, तो अपने शौक को जिंदा रखें

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पेशे से हैं डॉक्टर, दिल से कलाकार

National Doctors Day: चिकित्सा क्षेत्र एक अत्यंत तनावपूर्ण पेशा है, जिसमें डॉक्टरों को कभी-कभी 14-14 घंटे तक की ड्यूटी करनी पड़ती है और इमरजेंसी केसों के बीच अपनी नींद और आराम को छोड़ना पड़ता है. ऐसे में पटना के कुछ डॉक्टर अपनी हॉबीज के जरिए तनाव को कम कर रहे हैं. इनमें कोई कवि बनकर अपनी भावनाओं को शब्दों में ढालता है, तो कोई सिंगर व लेखक है, तो कोई खेल कूद में माहिर है, तो कोई गार्डनिंग के भी शौकीन हैं. वे अपने अस्पताल और क्लिनिक से समय निकालकर इन शौकों में खो जाते हैं.

हॉबी को जिंदा रखकर और अलग-अलग क्षेत्रों में भी पहचान रखते हैं हमारे ये डॉक्टर्स

बेस्ट सिंगर के रूप में पहचाने जाते हैं डॉ निलेश – डॉ निलेश मोहन, इंचार्ज, आई बैंक आईजीआइएमएस

आईजीआईएमएस के नेत्र रोग विभाग में कार्यरत डॉ निलेश मोहन एक प्रसिद्ध नेत्र रोग विशेषज्ञ होने के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर बेहतरीन गायक के रूप में भी पहचाने जाते हैं. वे राष्ट्रीय ऑप्थोमोलॉजिक सोसाइटी में बेस्ट सिंगर के रूप में पहचान बना चुके हैं. उनका मानना है कि शौक व्यक्ति के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी होते हैं. गाना उनका बचपन का शौक रहा है, जिसे पढ़ाई और जिम्मेदारियों के चलते उन्होंने कुछ समय के लिए छोड़ दिया था, लेकिन तनाव से जूझने के दौरान उन्होंने फिर से संगीत को अपनी दिनचर्या में शामिल किया. आज वे हर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मेडिकल कॉन्फ्रेंस में मंच पर गाते हैं. उनका कहना है कि सिंगिंग, पेंटिंग और स्पोर्ट्स जैसी गतिविधियां तनाव कम कर आत्मसंतुष्टि देती हैं. वे सभी पेशेवरों को सलाह देते हैं कि वे अपने शौक को जीवित रखें, क्योंकि यह आपके जीवन में ऊर्जा, रचनात्मकता और संतुलन बनाये रखता है. डॉ निलेश मोहन खुद को संगीत के माध्यम से संतुलित और सकारात्मक बनाये रखते हैं.

कविता लिख अपनी थकान मिटाते हैं डॉ विनय – डॉ विनय कुमार, मनोचिकित्सक

शहर के मनोचिकित्सक डॉ विनय कुमार का साहित्य से गहरा जुड़ाव है. वह न केवल मनोरोग विशेषज्ञ के रूप में प्रतिष्ठित हैं, बल्कि एक संवेदनशील कवि के रूप में भी अपनी पहचान बना चुके हैं. हाल ही में उनकी काव्य कृति ‘पानी जैसा देस’ का विमोचन पटना में आयोजित ‘किताब उत्सव’ में हुआ था. इसके साथ ही उन्होंने मनोरोग चिकित्सा पर सात पुस्तकों का संपादन भी किया है. उनके इस बहुआयामी योगदान के लिए उन्हें आइएमए के डॉ रामचंद्र एन मूर्ति सम्मान और कविता के लिए बनारसी दास भोजपुर सम्मान जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं. डॉ विनय की कविताओं में नदियों, पोखरों और लोक जीवन की झलक देखने को मिलती है. उनका मानना है कि साहित्य न केवल समाज का दर्पण है, बल्कि मन की थकान और संवेदनहीनता का इलाज भी करता है. डॉक्टर और कवि दोनों रूपों में वे मानव मन की गहराइयों को समझने और उकेरने का कार्य कर रहे हैं.

विकास शंकर का साहित्य से भी है गहरा लगाव – प्रो डॉ विकास शंकर, चर्म रोग विभाग, एनएमसीएच

एनएमसीएच के चर्म रोग विशेषज्ञ व एसोसिएट प्रो डॉ विकास शंकर न केवल चिकित्सा क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं, बल्कि साहित्यिक दुनिया में भी एक मजबूत पहचान रखते हैं. चिकित्सा की पढ़ाई के दौरान उन्होंने ‘मैनुअल ऑफ रैशनल स्किन थैरेपी एंड डर्मेटोलॉजिकल ड्रग्स’ नामक पुस्तक लिखी, जिसे जेपी ब्रदर्स पब्लिकेशन ने वर्ष 2010-11 में राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित हुआ था. साहित्य और समाज सेवा के प्रति उनका समर्पण उन्हें एक संवेदनशील चिकित्सक बनाता है. उनका मानना है कि साहित्य के प्रति जुड़ाव इंसान के भीतर की नकारात्मकता को दूर करता है और उसे अधिक मानवीय बनाता है. डॉ विकास शंकर कहते हैं कि साहित्य केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि समाज को सुधारने और समझने का एक प्रभावशाली माध्यम है. वे मानते हैं कि साहित्य समाज का आइना होता है, जो व्यक्ति को आत्मनिरीक्षण और सामाजिक सरोकार की दिशा में प्रेरित करता है.

हरियाली और गार्डनिंग के शौकीन हैं डॉ निम्मी – डॉ निम्मी सिंह, दंत रोग विभाग, आइजीआईएमएस

आइजीआइएमएस की प्रसिद्ध डेंटल एक्सपर्ट डॉ निम्मी सिंह की दिनचर्या गार्डनिंग, पेड़-पौधों और योग से शुरू होती है. हर सुबह वह पांच बजे उठकर अपने गार्डन में समय बिताती हैं, जहां वह खुद पेड़-पौधों की देखभाल करती हैं. उनका मानना है कि हरियाली से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जो मन को शांत और विचारों को स्पष्ट करती है. एक घंटे की गार्डनिंग के बाद वे नियमित रूप से योग करती हैं, जिससे वे शारीरिक और मानसिक रूप से संतुलित बनी रहती है. उनका मानना है कि अगर डॉक्टर खुद तंदुरुस्त रहे, तो वह अपने मरीजों का बेहतर इलाज कर सकता है. डॉ निम्मी का यह दैनिक अनुशासन उन्हें जीवन में ऊर्जा और स्थिरता प्रदान करता है. वह बताती हैं कि प्रकृति के साथ जुड़ाव और आत्म-चिंतन ही किसी भी पेशेवर को लंबे समय तक ऊर्जावान बनाये रखता है. उनकी जीवनशैली एक आदर्श उदाहरण है कि प्रकृति और योग से जुड़कर व्यक्ति अपने जीवन को बेहतर बना सकता है.

रिलैक्स होने के लिए पुराने नगमे सुनते हैं डॉ विजय – पद्मश्री डॉ विजय प्रकाश, निदेशक, बिग अपोलो स्पेक्ट्रा

प्रसिद्ध पेट रोग विशेषज्ञ और बिग अपोलो स्पेक्ट्रा के निदेशक पद्मश्री डॉ विजय प्रकाश अपने मरीजों को प्राथमिकता देते हैं. वे खुद को रिलैक्स करने व खाली समय में पुराने गीत सुनकर खुद को सुकून और ऊर्जा प्रदान करते हैं. उन्हें मुकेश, मन्ना डे, हेमंत कुमार, लता मंगेशकर जैसे महान गायकों के नगमे बेहद पसंद हैं. वे कहते हैं- संगीत हमें मानसिक थकान से राहत देता है और नये सिरे से काम करने की प्रेरणा भी. साथ ही वे रोज कुछ समय अपने बच्चों व परिवार के साथ बिताते हैं, जिसे वह सबसे बड़ी दवा मानते हैं. उनका मानना है कि परिवार के साथ समय बिताना सकारात्मक ऊर्जा देता है और दूसरों की सेवा का भाव भी जागृत करता है. इसके अलावा वह रोजाना एक घंटे जिम में व्यायाम करते हैं, ताकि खुद को शारीरिक रूप से फिट रख सकें. डॉ विजय कहते हैं कि जीवन में सामंजस्य बनाये रखना बेहद जरूरी है- पेशेवर जिम्मेदारियों के साथ-साथ खुद के लिए भी वक्त निकालना ही सच्चा स्वास्थ्य है.

डॉ रोहित को क्रिकेट से है काफी गहरा लगाव – डॉ रोहित कुमार, हार्ट स्पेशलिस्ट, आईजीआईसी

इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ रोहित कुमार क्रिकेट के बड़े प्रेमी हैं. ओपीडी और इमरजेंसी ड्यूटी के बाद वे रोज क्रिकेट मैदान पहुंचते हैं और डेढ़ से दो घंटे तक क्रिकेट खेलते हैं. बचपन से ही उन्हें इस खेल का शौक रहा है, और स्कूल के दिनों में वे इंटर स्तरीय टूर्नामेंट में भी हिस्सा लेते थे. खेल के प्रति उनका इतना लगाव है कि वे अपनी सैलरी का बड़ा हिस्सा क्रिकेट किट और उपकरणों पर खर्च करते हैं. उनके पास क्रिकेट से संबंधित लगभग सभी जरूरी उपकरण मौजूद हैं. डॉ रोहित का मानना है कि खेल न केवल शरीर को फिट रखते हैं, बल्कि तनाव से मुक्ति और मानसिक ताजगी भी प्रदान करते हैं. वे मानते हैं कि डॉक्टर की भूमिका में बने रहने के लिए शारीरिक ऊर्जा के साथ मानसिक संतुलन भी जरूरी है, और इसके लिए खेल एक उत्तम माध्यम है. क्रिकेट उनके लिए एक जुनून ही नहीं, बल्कि जीवन का संतुलन बनाए रखने का जरिया है.

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