जिले की 9वीं नेत्रदानी बनीं अवंतिका देवी, छह आंखों को मिलेगी रोशनी
मृत्यु अटल सत्य है और एक दिन हर किसी को जाना है. लोग जीते जी जो शोहरत और नाम कमाते हैं.
By AKHILESH CHANDRA | May 19, 2025 6:50 PM
मरणोपरांत अवंतिका देवी के पुत्र व घरवालों ने कराया अंगदान
पूर्णिया. मृत्यु अटल सत्य है और एक दिन हर किसी को जाना है. लोग जीते जी जो शोहरत और नाम कमाते हैं. वह इंसान के मृत्यु के साथ ही खत्म हो जाता है. सांस छूटने के बाद लोग बड़े से बड़े लोग का नाम तक नहीं लेते. मगर दानी के साथ ऐसा नहीं होता. यही कारण है कि महाभारत के पात्र कर्ण के नाम के साथ आज भी दानवीर जोड़ा जाता है. अंगदान करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद भी न केवल इस संसार में अपने अंग के माध्यम से रह सकता है, बल्कि उसका नाम भी दुनिया छोड़ने के बाद रहता है. दधीचि देहदान समिति के प्रांतीय उपाध्यक्ष डॉक्टर अनिल कुमार गुप्ता ने उक्त बातें सोमवार को अवंतिका देवी के नेत्रदान के अवसर पर कही.
बता दें कि अवंतिका देवी ग्रीन पूर्णिया संस्था की पहली और जिले की 9वीं नेत्रदानी हैं. अवंतिका देवी का पूरा परिवार भी मरणोपरांत नेत्रदान करने की इच्छा जतायी है. अवंतिका देवी से पहले सर्जन डॉ ओपी साह जिले के 8वें नेत्रदानी बने थे. स्व डॉ. ओपी साह जिले के पहले डॉक्टर थे जिन्होंने मृत्यु के उपरांत नेत्रदान किया था. इस मौके पर श्रीराम सेवा संघ के राणा सिंह के अलावा रूपेश डुंगरवाल, हीना सैयद,पूजा साह, तोफिक आलम, मो. कामिल आदि मौजूद थे.फोटो- 19 पूर्णिया 15-नेत्रदान के मौके पर मौजूद डॉ एके गुप्ता व अन्य.
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