शहर से सटे अब्दुल्लानगर, खुश्कीबाग में मिल रही हैं शिकायतें
कहीं बच्चे तो कहीं बड़ों में भी देखा जा रहा चिकन पॉक्स का प्रभाव
पूर्णिया. अपने शहर और यहां के लोगों पर मौसम की मार पड़नी शुरू हो गयी है. गरमाते मौसम के बीच जिले में चिकन पॉक्स ने पांव पसारना शुरू कर दिया है. इन दिनों जिले में चिकन पॉक्स की शिकायत बढ़ गयी है. पूर्णिया पूर्व प्रखंड इलाके के अब्दुल्लानगर, खुश्कीबाग आदि क्षेत्रों में कुछ बच्चे और बड़ों में इसकी शिकायत पायी गयी है. शहर के मेडिकल कालेज अस्पताल और निजी क्लीनिकों में इलाज के लिए लोग पहुंचने लगे हैं. कई बीमार अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं. इस बाबत अब्दुल्लानगर निवासी राजेश कुमार ने बताया कि चिकन पॉक्स का संक्रमण एक के बाद एक कर उनके परिवार के लगभग सभी सदस्यों में हुआ. खानपान रहन सहन में थोड़ी परेशानी हुई लेकिन अब धीरे धीरे कर सभी ठीक हो रहे हैं. ये साधारण मामले हैं जिससे लगभग सप्ताह भर में पीड़ित लोग स्वस्थ हो जा रहे हैं लेकिन जिनका स्वास्थ्य कमजोर है उनके लिए यह परेशानी का सबब है. वहीं दूसरी ओर राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल के ओपीडी में भी चिकन पॉक्स के इलाज के लिए कुछ प्रभावित लोग पहुंच चुके हैं. सभी बीमार लोगों का उपचार किया जा रहा है. लोग मान रहे हैं कि बढ़ती गर्मी के बीच इस रोग का संक्रमण फैला है.
संक्रामक बीमारी है चिकन पॉक्स
चिकित्सकों का कहना है कि चिकन पॉक्स एक संक्रामक बीमारी है. शुरू शुरू में शरीर में फफोले की तरह दाने चेहरे व छाती पर उभरते हैं जो आगे चलकर पूरे शरीर में फैल जाते हैं. इन दानों में द्रव से भरे होते हैं जिससे खुजली की समस्या होती है. चेचक का टीका नहीं लगाने वाले को ये विशेष रूप से प्रभावित करता है हालांकि ये जानलेवा संक्रमण नहीं है लेकिन स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पैदा कर सकता है. ज्यादातर लोग इसके संक्रमण के समाप्त होने का इन्तजार घर पर ही करते हैं और इसका संक्रमण न फैले इसके लिए कुछ पारंपरिक तरीकों में नीम की पत्तियों और दवा आदि का इस्तेमाल करते हैं. उनका मानना है कि इस मामले में चिकित्सक की सलाह और उपयोगी सुझावों पर भी ध्यान देने की जरुरत है.
गर्मी, उमस एवं बारिश में बढ़ता है इसका संक्रमण
सिविल सर्जन डॉ प्रमोद कुमार कनौजिया ने बताया कि उमस भरी गर्मी व बारिश के मौसम में इसके संक्रमण का खतरा अधिक होता है. अमूमन बच्चों में चिकन पॉक्स के संक्रमण का खतरा अधिक होता है. व्यस्क भी इसका शिकार हो सकते है. इसे लेकर आम लोगों को जागरूक करने के साथ साथ सरकारी अस्पतालों में चिकन पॉक्स का इलाज आसानी से संभव है. उन्होंने बताया कि चिकन पॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए पीड़ित व्यक्ति को सप्ताह भर आइसोलेशन में रहना जरुरी है. नवजात व कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के साथ गर्भवती महिलाएं व बुजुर्ग लोगों को संक्रमण का खतरा अधिक होता है.
संक्रमण के लक्षण
धीरे धीरे शरीर पर दाने विकसित होना
बच्चों में भूख की कमी या खाने की आदतों में बदलाव होना
नींद में वृद्धि आदि लक्षण मुख्य हैं
यह कैसे फैलता है
मुंह में बनने वाली लार से
किसी गंदी सतह को छूने से
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बोले सिविल सर्जन
यह तेज़ी से फैलने वाला वायरल संक्रमण है. जिन लोगों को कभी चेचक नहीं हुआ या जिन्हें इसका टीका नहीं लगा है उनमें यह सबसे जल्दी फैलता है. चिकन पॉक्स से जुड़ी किसी तरह की समस्या दिखने पर अस्पताल या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करना जरूरी है. इसके अलावा संबंधित एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं से भी संपर्क किया जा सकता है. सभी अस्पतालों में सुझाव और इलाज उपलब्ध है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है