केंद्र के बगल में चलता है शौचालय
हालांकि ये दोनों विभाग उपरी मंजिल पर हैं, जबकि डायलिसिस केंद्र ग्राउंड फ्लोर पर है. बावजूद इसके इसी डायलिसिस केंद्र वाले क्षेत्र में शौचालय और बाथरूम होने की वजह से उक्त बिल्डिंग में आने वाले सभी लोग चाहे कर्मी हों अथवा मरीज सभी उसका सार्वजनिक तौर पर इस्तेमाल करते हैं. इस वजह से यहां संचालित डायलिसिस केंद्र को संक्रमण मुक्त रखने का दावा बिलकुल फेल है और इसका खामियाजा किडनी पेशेंट को कभी भी भुगतना पड़ सकता है.
पीपीपी मोड पर चल रहा है डायलिसिस केंद्र
जीएमसीएच स्थित डायलिसिस केंद्र का संचालन पीपीपी (पब्लिक, प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर चल रहा है. इसमें एक साथ पांच लोगों के लिए डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है. हर दिन करीब 10 से 15 लोग यहां डायलिसिस कराने आते हैं. अबतक इस केंद्र में लगभग 10 हजार डायलिसिस संपन्न कराये जा चुके हैं. इस केंद्र पर राशन कार्डधारी परिवार के लिए निशुल्क सेवा है, जबकि सामान्य लोगों के लिए सरकारी दर 1797 रुपये शुल्क लिया जाता है. यह सेंटर लगभग पिछले तीन वर्षों से इसी स्थान पर चल रहा है. वर्ष 2022 में ही इस भवन में अपोलो डायलिसिस की सुविधा पीपीपी मोड पर शुरू की गयी थी. इसके बाद के दिनों में इस भवन की स्थिति बदलती गयी और अब बिल्कुल दयनीय हो गयी है. एक ओर संक्रमण का खतरा, तो दूसरी ओर अंदर की दीवारों पर लगे डैंप के बीच मरीजों का डायलिसिस कराना कभी भी किसी के लिए भी घातक और जानलेवा हो सकता है.
बना है जोखिम वाला क्षेत्र
केंद्र की सीनियर इंचार्ज डायलिसिस नाजिश अख्तर ने बताया कि यह भवन बहुत पुराना हो गया है. जगह-जगह डैंप लग गये हैं. अपने स्तर से बेहतर साफ-सफाई की व्यवस्था होते हुए भी इस बिल्डिंग में संक्रामक रोग से पीड़ित लोगों का आना-जाना हर दिन लगा रहता है, जिससे किडनी के मरीजों में संक्रमण फैलने का बेहद खतरा है. खास कर टॉयलेट के बिलकुल करीब होने और उसका सार्वजनिक इस्तेमाल होने से बेहद जोखिम वाला क्षेत्र बना हुआ है.
बोले अधीक्षक
जीएमसीएच अधीक्षक डॉ संजय कुमार ने कहा कि यह सदर अस्पताल के समय से ही उसी बिल्डिंग में चली आ रही व्यवस्था के तहत डायलिसिस की सुविधा अब भी बहाल है. हाल ही में उक्त स्थल का निरीक्षण किया गया था. प्रभारी को वहां की व्यवस्था दुरुस्त रखने और स्वच्छता प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया गया है. यह मेडिकल कॉलेज फिलहाल यूजी क्रेटेरिया के अनुसार चल रहा है. नेफ्रो डिपार्टमेंट के आने के बाद जीएमसीएच का अपना सारा सेटअप होगा. कॉलेज की अपनी डायलिसिस की व्यवस्था रहेगी.
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