गुप्त नवरात्र पर अनुष्ठान संग आज होगा देवी कालरात्रि का आह्वान

गुप्त नवरात्र पर आज होगी विशेष पूजा

By AKHILESH CHANDRA | July 1, 2025 6:14 PM
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कसबा गुप्त काली मंदिर में गुप्त नवरात्र पर आज होगी विशेष पूजा

जिले के विभिन्न इलाकों से मत्था टेकने के लिए मंदिर में जुटेंगे भक्तजन

पूर्णिया. बुधवार को आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि का सातवां दिन है और गुप्त नवरात्र के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है. शहर से सटे सटे कसबा गुप्त काली मंदिर में इस दिन पूजन-अनुष्ठान कर देवी कालरात्रि का आह्वान किया जाएगा. देवी कालरात्रि को दुर्गा का एक उग्र रूप माना जाता है. गुप्त नवरात्रि में न केवल दस महाविद्याओं को प्रसन्न करने के लिए गुप्त साधनाएं की जाती हैं बल्कि सामान्य लोग भी देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा कर उनसे आशीर्वाद मांगते हैं. गौरतलब है कि कसबा के कुम्हारटोली स्थित गुप्त काली मंदिर में साल में पड़ने वाले सभी नवरात्र में पूजन अनुष्ठान किया जाता है. हमेशा की तरह इस महीने भी यहां पूरी आस्था और निष्ठा के साथ अनुष्ठान किया जा रहा है. हालांकि सामान्य पूजा की तरह कोई उत्सव का माहौल इसमें नहीं होता है पर यहां बड़ी संख्या में भक्त जुटते हैं. मंदिर के प्रधान पुजारी शंकर पंडित उर्फ भगत जी बताते हैं कि भक्त यहां न केवल अपनी साधना सिद्ध करने के लिए पहुंचते हैं बल्कि देवी मां को प्रसन्न करने के लिए भी पूजा-अर्चना के उद्देश्य से आते हैं. दरअसल इस मंदिर में तंत्र पद्धति से पूजा होती है. जानकारों की मानें तो इसके लिए शास्त्रों में देवी दुर्गा के काली स्वरूप की विशेष अहमियत है.

यहां प्रतिष्ठापित हैं सभी स्वरूपों की प्रतिमाएं

कसबा के इस गुप्त काली मंदिर में मां गुप्त काली की प्रतिमा के अलावा देवी के सभी स्वरुपों की प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित हैं. यहां सभी गुप्त नवरात्र पर कलश स्थापित कर विधि विधान के साथ पूजन अनुष्ठान किया जाता है. अकेला पूजन स्थल है जहां दशहरा के समय 18 भुजा और मां के काली स्वरूप की प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित की जाती हैं. प्रधान पुजारी भगत जी बताते हैं कि इसका साधना से सीधा संबंध होता है और बाहर के भक्त भी पहुंचते हैं. गुप्त काली मंदिर ही वह जगह है जहां गुफाओं में चल कर मां वैष्णो देवी के दर्शन भी होते हैं. यहां भगवान शिव, पार्वती और हनुमान जी की भी प्रतिमाएं प्रतिष्ठापित हैं. भक्त संतोष, मनोज और विक्रम बताते हैं कि यहां नेपाल और बंगाल के भी भक्त बड़ी संख्या में जुटते हैं.

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