सीमांचल के गौरवशाली विरासत को केंद्र करे पुनर्जीवित : सांसद

खादी ग्रामोद्योग पुनरुद्धार के केन्द्रीय मंत्री से मिले सांसद

By ARUN KUMAR | June 25, 2025 6:03 PM
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– रानीपतरा सर्वोदय आश्रम व खादी ग्रामोद्योग पुनरुद्धार के केन्द्रीय मंत्री से मिले सांसद – सांसद ने पूर्णिया के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल को पर्यटन सर्किट में शामिल करने का किया आग्रह – क्षेत्र के आर्थिक, सांस्कृतिक और पर्यटन विकास के लिए 1000 करोड़ की परियोजना के लिए की अनुशंसा पूर्णिया. पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने भारत सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से भेंट कर रानीपतरा सर्वोदय आश्रम के पुनरुद्धार और पूर्णिया के धार्मिक, ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन सर्किट में शामिल करने की मांग की है. उन्होंने इस सिलसिले में एक विस्तृत ज्ञापन सौंपते हुए क्षेत्र के आर्थिक, सांस्कृतिक और पर्यटन विकास के लिए 1000 करोड़ रुपये की विशेष परियोजना की अनुशंसा की. सांसद पप्पू यादव ने मंत्री को अवगत कराया कि रानीपतरा सर्वोदय आश्रम एक समय में खादी ग्रामोद्योग के क्षेत्र में अग्रणी केंद्र था. वर्ष 1984-85 तक यह आश्रम करीब एक करोड़ रुपये की वार्षिक आय के साथ 22 प्रकार के लघु व कुटीर उद्योगों का संचालन करता था,इनमें रेशम, खादी, जूट, वर्खा, तेल निष्कर्षण जैसे उद्योग शामिल थे. इस आश्रम से हजारों लोगों को रोजगार मिलता था और यह सीमांचल की स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ थी. उन्होंने बताया कि यह आश्रम बापू की स्मृति में स्थापित किया गया था और इसकी भूमि पर विनोबा भावे, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण जैसे महान स्वतंत्रता सेनानियों का आगमन हुआ था। आज आश्रम के पास 24 बीघा भूमि है, लेकिन वर्षों से यह स्थान उपेक्षित पड़ा है. सांसद ने मांग की कि आश्रम को राष्ट्रीय खादी ग्रामोद्योग योजना, सांस्कृतिक मंत्रालय, और हस्तशिल्प मंत्रालय के समन्वय से पुनः जीवंत किया जाये. सांसद ने मंत्री से आग्रह किया कि आश्रम में खादी एवं ग्रामोद्योग से जुड़े प्रशिक्षण केंद्र, उत्पादन इकाइयां, और स्वरोजगार केंद्रों की स्थापना की जाए ताकि युवाओं और महिलाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार मिल सके. उन्होंने इस स्थल को ग्रामीण पर्यटन, सांस्कृतिक धरोहर, और प्राकृतिक संसाधनों के लिए केंद्र बिंदु बनाने का प्रस्ताव रखा. इस अवसर पर सांसद ने पूर्णिया जिले के धार्मिक, सांस्कृतिक व ऐतिहासिक स्थलों जैसे पूरण देवी मंदिर, जलालगढ़ किला, काझी कोठी, मनिहारी घाट, रानीसती मंदिर, आदमपुर कला भवन, पीर बाबा की मजार आदि को भी विस्तार से उल्लेखित करते हुए बताया कि ये स्थल धार्मिक आस्था, इतिहास, लोककला, और सांप्रदायिक सौहार्द के प्रतीक हैं, जिन्हें विकसित कर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन से जोड़ा जा सकता है. उन्होंने कहा कि पूर्णिया की भौगोलिक स्थिति, कृषि उत्पादकता, हस्तशिल्प, और संगीत-नृत्य की परंपरा इसे एक बहुआयामी पर्यटन केंद्र बनाने की पूरी क्षमता रखती है. यदि इन स्थलों को पर्यटन के आधुनिक मानकों पर विकसित किया जाए तो इससे न सिर्फ क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर भी मिलेंगे.पप्पू यादव ने मंत्री से अपील की कि इस दिशा में एक केन्द्रीय निरीक्षण दल भेजा जाए, जो स्थल का विस्तृत सर्वेक्षण करे और तत्पश्चात 1000 करोड़ रुपये की विशेष परियोजना को स्वीकृति मिले जिससे पूर्णिया को राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर सशक्त पहचान मिल सके.

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