पूर्णिया. अखिल भारतीय शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष डॉ ओमप्रकाश सिंह और बिहार झारखंड के क्षेत्रीय संयोजक डॉ हिमांशु कुमार वर्मा ने पूर्णिया गुरूकुलम् का शैक्षिक परिदर्शन किया. वह यहां विशेष परिदर्शन में पहुंचे थे. इस दौरान गुरुकुलम संचालन समिति, संचालन ट्रस्ट तथा भारतीय शिक्षण मंडल के सदस्यों, पालक अधिकारियों तथा प्रांतीय अधिकारियों के साथ उन्होंने बैठक भी की. डॉ सिंह ने कहा कि पूर्ण समाज पोषित गुरुकुल कार्य ईश्वरीय कार्य है, हमने शुरू किया है तो इसकी निरंतरता और श्रेष्ठता बहाल रखना है, उन्होंने समाज के समर्थ लोगों से आगे आने और आर्थिक व बौद्धिक सहयोग पर जोर दिया. उपाध्यक्ष डॉ ओमप्रकाश सिंह कहा पूर्णिया गुरूकुल एक निबंधित ट्रस्ट है जो 80 जी के प्रावधान से संबद्ध है, आयकर देने वाले आराम से इस नियम से लाभान्वित भी हो सकते हैं और गुरूकुल का भी भला कर सकते हैं. हमें टीम भाव से नैष्ठिक रूप से ऐसे यज्ञ में सहयोग कर सकते हैं. डॉ हिमांशु कुमार वर्मा ने भारतीय शिक्षण मंडल और पूर्णिया गुरूकुलम् की उपादेयता पर विस्तृत चर्चा की. बैठक से पहले उत्तर बिहार प्रांत गुरूकुल प्रकल्प प्रमुख राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त संजय कुमार सिंह ने मिथिला पाग, अंगवस्त्रम्,गुरूकुल का मोमेंटो और फणीश्वरनाथ रेणु की कालजयी रचना ‘मैला आंचल’ से अभिनन्दन किया. भारतीय शिक्षण मंडल के जिला इकाई अध्यक्ष डॉ रामनरेश भक्त ने डॉ हिमांशु कुमार वर्मा को मिथिला पाग, अंगवस्त्रम् तथा ‘शब्द शिल्पी रेणु’ पुस्तक के साथ सम्मान किया. मुख्य अतिथि को डॉ अनिल कुमार ने राष्ट्र कवि डॉ रामधारी सिंह दिनकर द्वारा पूर्णिया कॉलेज में रचित पुस्तक ‘रश्मि रथी‘ भेंट किया. शुरुआत में गुरूकुल के बच्चों ने स्वागत गान से अतिथियों का मन मोहा. कार्यक्रम संचालन और विषय प्रवेश आचार्य सुनिल कुमार ने किया. बाद में डॉ ओमप्रकाश सिंह के नेतृत्व में एक शिष्टमंडल ने पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ प्रो विवेकानंद सिंह से शिष्टाचार मुलाक़ात की जहां उनका स्वागत किया गया. इस अवसर पर भूगोल के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष तथा बीएन मंडल विवि के प्रथम लोकपाल डॉ प्रो शिव मुनि यादव, विश्वविद्यालय इकाई के प्रांत प्रमुख डॉ अनिल कुमार, प्रांत प्रचार प्रमुख डॉ आशुतोष कुमार, डॉ स्वामी नाथन, डॉ सविता ओझा, डॉ मिताली मीनू, प्रांत सह सचिव डॉ प्रदीप कुमार झा, डॉ अर्जुन कुमार, ट्रस्टी और गुरूकुलम् अध्यक्ष श्याम तपारिया, प्रदीप मित्रुका, डॉ ज्ञान कुमारी राय, आचार्य श्रवण कुमार, आचार्य संतोष आचार्य अनिल कुमार तथा गुरुकुलम् के विद्यार्थियों की कार्यक्रम की सफलता में महती भूमिका रही.
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