बनगांव होली बन गया देश में भाईचारे का प्रतीक
18वीं सदी में परमहंस संत लक्ष्मीनाथ गोस्वामी द्वारा बनगांव में कृष्ण जन्माष्टमी और होली पर्व को एक आदर्श के रूप में मनाने के कारण मिथिला सहित देश में इन पर्वों को सामाजिक भाईचारे के रूप में विख्यात हो गया. जो आज भी बनगांव में रह रहे सभी धर्मों एवं वर्गों के लोगों द्वारा परमहंस संत लक्ष्मीनाथ गोस्वामी के आदर्शो का पालन करते एक दूसरे के दरवाजे पर एक झुंड बनाकर जाकर होली मनाते आ रहे हैं. जिसे घुमौर होली के रूप में देखा जाता है. जिसकी प्रसिद्धि के कारण ही प्रत्येक वर्ष बनगांव होली मनाने और देखने स्थानीय सहित देश विदेशों के भी की राजनेता और प्रसिद्ध लोग आते रहते हैं.
हेमंत बृजवासी की प्रस्तुति पर झूमे लोग
बनगांव होली के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय बनगांव होली महोत्सव के पहले दिन बुधवार को बनगांव कलावती उच्च विद्यालय खेल मैदान में सुप्रसिद्ध गायक हेमंत बृजवासी ने आध्यात्मिक, होली सहित अन्य मनोरंजक गीत गाकर दर्शकों का मनमोह लिया. वहीं बुधवार शाम भगवती स्थान में दिल्ली के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पंडित हरिश तिवारी ने अपने शास्त्रीय गायिका से लोगों को आनंदित कर दिया. महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को बनगांव बिषहरी स्थान में पुणे की प्रस्तुति शास्त्रीय गायिका सावणी सिंदे और शास्त्रीय गायक पंडित हरिश तिवारी ने अपनी अपनी प्रस्तुति देकर श्रोताओं का मनमोह लिया.
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