पंपिंग सेट और मोटर से सिंचाई कर रोपे गये धान की खेतों में पड़ने लगी दरारें

रोपे गये धान की खेतों में पड़ने लगी दरारें

By Dipankar Shriwastaw | July 14, 2025 6:39 PM
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माॅनसून की बेरुखी और तेज धूप के कारण धान की फसल प्रभावित सौरबाजार . लगातार माॅनसून की बेरुखी और तेज धूप के कारण प्रखंड सहित आसपास के इलाकों में पंपिंग सेट और मोटर से सिंचाई कर रोपे गये धान की खेतों में दरारें पड़ने लगी हैं. इससे किसानों की चिंता गहराने लगी है. खेतों की मिट्टी सूखकर फट रही है और धान की पौधे मुरझाने लगी है, जिससे फसल बर्बाद होने की आशंका बढ़ गयी है. धान की खेती के लिए पर्याप्त पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन माॅनसूनी वर्षा की कमी और सिंचाई के वैकल्पिक साधनों की सीमित उपलब्धता के कारण किसान पहले ही पंपिंग सेट और डीजल इंजन के सहारे अत्यधिक लागत पर सिंचाई करने को मजबूर थे. अब दोबारा खेतों में पानी देने की जरूरत पड़ने पर किसानों के सामने डीजल, बिजली और पानी की नई चुनौती खड़ी हो गयी है. खजुरी के किसान प्रमोद यादव बताते हैं कि हमने 15 दिन पहले पंप से पानी देकर रोपनी की थी, अब खेतों में मोटी-मोटी दरारें पड़ने लगी हैं. न तो पानी है, न ही पैसा बचा है कि दोबारा सिंचाई कर सकें. सरकार कोई मदद नहीं कर रही है. वहीं सौरबाजार के एक अन्य किसान पुलेन मंडल ने कहा कि बिजली की अनियमित आपूर्ति और डीजल की महंगाई से खेतों की समय पर सिंचाई नहीं हो पा रही है. अगर इसी तरह सूखा पड़ता रहा तो फसल पूरी तरह नष्ट हो जायेगी. बैजनाथपुर के किसान रमेश यादव, खजुरी के किसान अनिल यादव, मुसहरनियां के किसान नागो यादव समेत अन्य किसानों ने बताया कि सरकार के साथ साथ अब प्रकृति भी किसानों के साथ नाइंसाफी करने लगी है. अब टूटने लगा है किसानों का सब्र बारिश की आश में किसानों का सब्र अब टूटने लगा है. अपने खेतों में काम कर रहे किसानों की नजर हमेशा आसमान में छाए बादलों की ओर निहारते रहती है. महंगे दामों पर बीज खाद के साथ-साथ पटवन और ट्रैक्टर की जुताई से किसानों को इस बार काफी अधिक खर्च का वहन करना पड़ रहा है. नहर नाला और नदियां भी पूरी तरह सूखी है. जिसके सहारे किसानों को कुछ राहत मिल सकती थी. प्रति एकड़ धान रोपने में खर्च की बात करें तो दो हजार से तीन हजार प्रति एकड़ ट्रैक्टर जुताई, एक हजार से 15 सौ पटवन, दो से तीन हजार रसायनिक खाद और दो से तीन हजार रोपने में मजदूरी कुल मिलाकर यदि देखा जाए तो प्रति एकड़ लगभग दस हजार रुपए का खर्च आता है. उसके बाद तीन महीने तक उसकी निगरानी और रखरखाव में भी अतिरिक्त खर्च आता है. लेकिन सरकार की ओर से इन किसानों को कोई सुविधा नहीं मिल पाती है. अधिकांश ट्रांसफार्मर चोरी बिजली विभाग द्वारा सिंचाई के लिए लगाए गया ट्रांसफार्मर में से अधिकांश ट्रांसफार्मर चोरी हो चुकी है. जो बचा है उनका या तो तेल चोरी हो गया है या खराब पड़ा है. लोग गांव में बिजली उपलब्ध कराने के लिए लगाए गए ट्रांसफार्मर से जैसे तैसे तार जोड़कर पटवन कर रहे हैं. खाद के समय भी यूरिया की किल्लत बताकर किसानों को बेवजह परेशान किया जाता है. सरकार की ओर से सुविधा देने के बजाय किसानों को परेशान किया जाता रहा है. ज्यादा बोलने पर डीजल अनुदान के नाम पर किसानों को लाॅलीपाप थमा दिया जाता है. उसका भी प्रोसेस इतना लंबा रहता है कि अधिकांश किसान उन्हें ले हीं नहीं पाते हैं. सौरबाजार प्रखंड क्षेत्र की बात करें तो यहां लगभग 4 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती होती है. इस बाबत प्रखंड कृषि पदाधिकारी अशोक कुमार ने बताया कि इस बार बारिश कम होने से किसानों को परेशानी जरूर हुई है, हमलोग कृषि विभाग के वरीय अधिकारी को क्षेत्र में किसानों को हो रही परेशानियों और वस्तुस्थिति से अवगत करवा रहे हैं. विभाग द्वारा दिशा निर्देश के आलोक में किसानों को सुविधाएं प्रदान की जायेगी.

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