सहरसा . बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले चुनाव आयोग द्वारा घोषित विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान के बहाने लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ तारानंद सादा ने कहा कि भाजपा बिहार विधानसभा में अपनी पराजय देखकर चुनाव आयोग के सहारे गरीब गुरबों को वोट से वंचित करने का प्लान बनाया है. चुनाव आयोग को सत्तारूढ़ पार्टी के इशारे पर नहीं संविधान द्वारा निर्धारित अपनी सीमाओं के भीतर काम करना चाहिए. लोकतंत्र व मतदाताओं का गुलाम बनना चाहिए ना कि भाजपा का. उन्होंने कहा कि एक महीने के भीतर किसी रूप में पुनरीक्षण संभव नहीं है. आयोग को हर नागरिक के वोट के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए. बिहार में सत्ता के इशारे पर हो रहा यह सब देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए ही नहीं हर एक मतदाता के लिए खतरा है. आश्चर्य की बात है आयोग माता-पिता का जन्म प्रमाण पत्र, शैक्षणिक प्रमाण पत्र मांग रही है. लेकिन आम आदमी की पहचान आधार का प्रचार करने वाली भाजपा सरकार में आयोग ने आधार को दस्तावेज नहीं माना है. ना ही राशन कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस को दस्तावेज माना है. चुनाव आयोग के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी जी निशाना तो अल्पसंख्यक मतदाताओं पर लगाना चाहते हैं. लेकिन इसका शिकार अल्पसंख्यक मतदाताओं के साथ अनुसूचित जाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, मजदूर, बाहर रहनेवाले मध्यम वर्गों के युवा होंगे. भारतीय लोकतंत्र के संविधान द्वारा प्रदत राजा एवं रंक को समानता के एक वोट के अधिकार से वंचित करना है. कांग्रेस सड़क से संसद तक इस साजिश पूर्ण निर्णय के खिलाफ आवाज बुलंद करेगी. चुनाव आयोग के चुनाव आयुक्त द्वारा 20 प्रतिशत वोट के प्रभावित होने की स्वीकृति आम आदमी को मिले मताधिकार का हनन के साथ इस देश के संविधान व लोकतंत्र पर कुठाराघात है. कांग्रेस पार्टी इसकी निंदा करते मतदाताओं से आगे आने की अपील करती है. साथ ही सरकार व चुनाव आयोग से मांग करती है कि अपने तुगलकी फरमान को वापस लें. अन्यथा जननायक न्याय योद्धा के नेतृत्व में सड़क से संसद तक लड़ाई लड़ेगी.
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