Madhushravani 2025: नवविवाहिता मधुश्रावणी व्रत अपने पति की किसी भी अनहोनी से रक्षा की कामना के लिए करती हैं. इस पर्व में पहले दिन से तेरह दिनों तक मैना पंचमी व विषहरा जन्म की कथा, बिहुला मनसा बिषहरी व मंगला गौरी कथा, पृथ्वी की कथा, समुद्र मंथन कथा, सती पतिव्रता, महादेव के पारिवारिक दंतकथा, गंगा गौरी जन्म कथा, गौरी की तपस्या विवाह की कथा, कार्तिक गणेश जन्म की कथा, गोसाउनिक गीत, विषहरा भगवती गीत गाये जाते हैं. इन दिनों नवविवाहिता अपने मायके का एक दाना तक नहीं खाती हैं.
इस दौरान वह अपने ससुराल से आये खाद्य पदार्थ का सेवन करती है एवं ससुराल से भेजे गये वस्त्र धारण करती है. पूजा करती है एवं पति के दीर्घायु के लिए यह व्रत करती हैं. मधुश्रावणी के अंतिम दिन 27 जुलाई को समापन नवविवाहिताओं को जलती दीप के टेमी दागने के साथ होगा. अहिबात की परीक्षा के लिए टेमी दागने की प्रथा आज भी चल रही है.
तेरह दिनों तक चलने वाली इस पर्व के प्रत्येक दिन धार्मिक पौराणिक एवं प्रचलित दंतकथा नवविवाहिता को महिला ही सुनाती है. कथा समापन के बाद कथावाचक महिला को नववस्त्र एवं दान दक्षिणा दिया जाता है. साथ ही नवविवाहिता के ससुराल से सामग्री भेजी जाती है.
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