Storm and rain in Samastipur:बारिश के बाद वारिसनगर में 16 घंटे गुल रही बिजली

आंधी में बिजली का चले जाना तो समझ में लोगों को आता है, परंतु हल्की हवा के साथ थोड़ी सी बारिश में भी घंटों बिजली का दर्शन नहीं देना समझ से पड़े है.

By PREM KUMAR | May 6, 2025 10:09 PM
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Storm and rain in Samastipur:वारिसनगर : आंधी में बिजली का चले जाना तो समझ में लोगों को आता है, परंतु हल्की हवा के साथ थोड़ी सी बारिश में भी घंटों बिजली का दर्शन नहीं देना समझ से पड़े है. यह वाकया किसी एक रोज का नहीं है, किसी न किसी बहाने बिजली कटना यहां की आम बात हो चली है. गत एक माह की विद्युत आपूर्ति की तहकीकात करें तो प्रत्येक दिन 33 हजार केवीए में खराबी की बातें कह कर विद्युत आपूर्ति बाधित होने की बातें सामने आती है. ऐसा विद्युत उपभोक्ता ग्रुप से ही मिल जायेगा. पिछले एक महीने की बात करें तो ठीक इसी तरह विगत 5-6 अप्रैल की मध्य रात्रि करीब 12 : 55 बजे विद्युत आपूर्ति बंद हो गई थी जो सुबह में चंद मिनट के लिये आयी. लेकिन एक पल में ही लोगों की खुशियां खामोशी में बदल गई. दिनभर नदारत रहने के बाद वो देर शाम को नजर आयी. उस बार भी सिर्फ और सिर्फ 33 हजार केवीए में खराबी की बाते कही गई थी. इसी प्रकार प्रत्येक दिवस बिजली कटते ही 33 हजार केवीए में खराबी की बातें ग्रुप पर बताई जाती है. इस विभाग की नाकामी की बातें कहे तो रविवार की शाम तेज हवा व बारिश के बीच विद्युत आपूर्ति ठप हो गई जो सोमवार की सुबह करीब साढ़े आठ बजे बहाल की जा सकी. लेकिन फिर से हद को पार करते हुए सोमवार रात्रि करीब 12 : 31 बजे आसमान में मेघ गर्जन के साथ ही विद्युत आपूर्ति बाधित हो गई जो मंगलवार की शाम करीब 4 :36 बजे दर्शन तो दिया लेकिन इस बार भी 33 हजार में ही खराबी की बातें कही गई. रात तो लोग किसी तरह गुजार लिया. परंतु सुबह होते ही लोग अपने घरों में लगे बल्ब और पंखे को जो निहारना शुरु किया वह शाम तक टकटकी लगाये ही रह गये परंतु न बल्ब जला न पंखे ही नाच सकी. इस बीच लोग पानी के लिये दर-दर भटकते नजर आये. ये तो ऊपर वाले ने रहम रखी कि ज्यादा उमस भरी गर्मी नहीं दी. इस संदर्भ में जानकारी लेने ली कोशिश विभाग के कनीय अभियंता व सहायक विद्युत अभियंता से की गई परंतु किसी कारणवश दोनों पदाधिकारियों द्वारा सरकारी मोबाइल रिसीव नहीं हो सका. कुछ विद्युत कर्मियों ने बताया कि मेन लाइन में खराबी आ गई है. शाम तक ठीक होने की उम्मीद है. अब सवाल उठता है कि जब 440 वाल्ट व 11 हजार केवीए में कभी कोई खराबी नहीं बताई जाती तो सिर्फ और सिर्फ 33 हजार केवीए की खराब व्यवस्था का जिम्मेवार कौन है ?

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