Agriculture university news from Samastipur:पूसा : डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय स्थित संचार केंद्र के पंचतंत्र सभागार में मधुमक्खीपालन विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुई. इसकी अध्यक्षता करते हुए वैज्ञानिक डा यू. मुखर्जी ने कहा कि किसानों को गुणवत्तायुक्त शहद निर्माण करने की जरूरत है. इससे देश ही नहीं बल्कि विदेशों के बाजार में भी औषधीय गुणों से भरपूर शहद का निर्यात किया जा सके. पहले देशी मधुमक्खी का पालन वृहत पैमाने पर किया जाता था. विश्वविद्यालय के सहयोग से लुधियाना से इटालियन मधुमक्खी को लाया गया. फिर इसका उपयोग एवं उत्पादन व्यवसायिक दृष्टिकोण से बेहतर साबित हुआ. वैज्ञानिकों के अथक प्रयास से मधुमक्खीपालन के क्षेत्र में बिहार के विभिन्न जिलों में बेहतर कार्य संपादित किया जा रहा है. इससे किसान लाभ लेकर स्वरोजगार के दिशा में मुखातिब हो चुके हैं. बिहार से मधुमक्खी का बक्सा पूर्व में झारखंड राज्य में भेजा जाता था. किसानों या व्यवसायी के साथ बोर्डर पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने मधुमक्खी के बक्से के साथ आने जाने पर प्रतिबंध लगा दिया. इससे बहुत हद तक व्यवसाय प्रभावित हुआ. अब बिहार एवं झारखंड राज्य सरकार के बीच मधुमक्खीपालन के क्षेत्र में आपसी सहमति बनाने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है. मकरंद, पराग एवं जल के समिश्रण से शहद का निर्माण होता है. उद्यमिता के क्षेत्र में मधुमक्खी पालन सफल व्यवसाय बन चुका है.
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