छपरा. गर्मी बढ़ते ही मिनरल वाटर व पानी के जार की डिमांड बढ़ गयी है. विगत कुछ सालों में शहरी क्षेत्र में 100 से भी अधिक मिनरल वाटर व आरओ वाटर ट्रीटमेंट प्लांट खोले गये हैं, जिनके माध्यम से रोजाना 40 लाख तक का कारोबार हो रहा है.
30 रुपये प्रति जार उपलब्ध है पानी
शहरी क्षेत्र में जितने भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाये गये हैं, उनके द्वारा छोटे-छोटे वाहनों के माध्यम से घरों तक पानी का जार या कंटेनर पहुंचाया जाता है. इस काम में दो से तीन लोगों को भी लगाया गया है. सुबह व शाम के समय प्लांट के एजेंट द्वारा पानी की सप्लाइ की जाती है. ग्राहकों को प्रति जार 30 रुपये चुकाने पड़ते हैं. वहीं, कई घरों में पानी सप्लाइ कराने के लिए प्लांट संचालक द्वारा विधिवत बुकिंग भी करायी जाती है, जिसमें एक महीने का रेट निर्धारित रहता है. कई ग्राहक रोजाना, तो कुछ ग्राहक महीने में एक बार खरीदे गये पानी का भुगतान करते हैं.आरओ मशीन लगवाने की भी मची होड़
शहरी क्षेत्र के अधिकतर घरों में स्टेटस सिंबल के तर्ज पर आरओ मशीन लगायी जा रही है. शहर में आरओ मशीन व वाटर प्यूरीफायर बेचने वाले करीब 100 से अधिक दुकानदार मौजूद हैं, जहां लोगों को आसान मासिक किस्त पर आरओ मशीन व वाटर प्यूरीफायर बेचा जाता है. कई घरों में 150 से 200 फुट तक बोरिंग भी करायी गयी है, जिससे शुद्ध पेयजल निकलता है. यदि घरों में लगाये जाने वाले आरओ या वाटर फिल्टर लोग बजट में शामिल कर लें, तो एक परिवार के पानी पर तीन से आठ हजार रुपये वार्षिक खर्च होता है. वर्तमान में लगभग 50 हजार परिवार आरओ का इस्तेमाल कर रहे हैं. यदि इस दृष्टिकोण से देखें, तो घरों एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में सालाना 25 लाख रुपये तक खर्च किये जा रहे हैं. शहर के होटल व रेस्टोरेंट में भी रोजाना 50 हजार रुपये से अधिक का पानी खरीद कर लोग पी जाते हैं.
नल जल में अनियमितता प्रमुख कारण
कारोबार बढ़ा, लेकिन गुणवत्ता पर प्रश्नचिह्न
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