छपरा. छपरा शहर एक बार फिर माॅनसून और बाढ़ के पानी में डूब सकता है. इसका सबसे बड़ा कारण खनुआ नाले को लिंक न किया जाना और सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का अधूरा और गलत तरीके से किया गया निर्माण है. नगर निगम के महापौर लक्ष्मी नारायण गुप्ता और निगम अधिकारियों ने इस मामले को गंभीर बताते हुए कई बार एजेंसी पर नाराजगी जतायी है. नगर आयुक्त ने भी एजेंसी को फटकार लगायी थी. जिलाधिकारी द्वारा जांच टीम गठित कर 28 पन्नों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करायी गयी थी जिसमें एजेंसी की लापरवाही को उजागर किया गया था. बावजूद इसके कोई ठोस कार्रवाई अब तक नहीं की गयी है. नगर निगम क्षेत्र के सभी जलनिकासी आउटलेट की जांच दो महीने पहले की गयी थी. जांच में सामने आया कि बुडको नामक एजेंसी ने शॉर्टकट अपनाते हुए शहर के 39 नालों को सिर्फ एक एसटीपी, करीमचक, से जोड़ दिया है, जबकि योजना के तहत सात एसटीपी बनने थे. इस गड़बड़ी से बारिश के समय शहर की सड़कों और मुहल्लों में जलजमाव तय है. महापौर ने इस मामले को गंभीर लापरवाही करार देते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखने और त्वरित कार्रवाई की मांग की थी, परंतु एजेंसी इतनी ताकतवर है कि उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. यहां तक कि पूर्व नगर आयुक्त सुमित कुमार के कार्यकाल में बनी जांच टीम की रिपोर्ट भी ठंडे बस्ते में डाल दी गयी. शहरवासियों की जान इस बार भी बारिश में जोखिम में है और जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे हैं.
बुडको ने नगर निगम की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा किया था
जब महापौर और नगर आयुक्त ने बुडको की कार्यशैली को लेकर प्रश्नचिह्न खड़ा किया था, तब बुडको ने भी महापौर और निगम के खिलाफ तलवार खींच ली थी और टका सा जवाब देते हुए कहा था कि बुडको का काम सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना है ना की ड्रेनेज सिस्टम तैयार करना. निगम का जो भी नाला है वह सिल्ट से भरा है इसका सबसे बड़ा उदाहरण है खनुआ नाला जिसकी हर साल सफाई होती है, करोड़ों रुपये खर्च होते हैं और स्थिति जस-की-तस रहती है. यह बात नगर निगम के अधिकारियों को चुभ गयी थी और वह चुप्पी साध गये थे.
बुडको की कार्यशैली पर जतायी गयी थी आशंका
दो महीने पहले हुए निरीक्षण में नगर निगम की टीम ने शहर के एक से 45 वार्ड के आउटलेट फॉल का निरीक्षण किया था. इसमें यह बात सामने आयी थी की बुडको ने सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तैयार करने के बाद शहर के सभी वार्डों के छोटे-छोटे नालों को करीम चक एसटीपी से जोड़ दिया है. इससे एक तो एसटीपी बहुत जल्दी बर्बाद हो जायेगा, दूसरा माॅनसून के समय बाढ़ का पानी उसी रास्ते से पूरे शहर में फैल जायेगा. निर्माण के अन्य कार्यों में भी लापरवाही बढ़ती गयी है जिससे छपरा शहर को काफी नुकसान होगा. आज यह बात सत्य प्रतीत हो रही है. निरीक्षण टीम के अनुसार बुडको एजेंसी को उनके द्वारा बनाये गये सभी साथ इंटरमीडिएट पंपिंग स्टेशन से शहर के नालों को जोड़ना चाहिए था. पूर्व का पानी पूर्व की तरफ जाता, जबकि पश्चिम का पानी पश्चिम की तरफ जाता. इससे ड्रेनेज सिस्टम पर लोड नहीं पड़ता. निर्माण के दौरान बिना साफ-सफाई किये पाइपलाइन बिछायी गयी है जिसमें पहले से ही काफी गंदगी है. ऐसे में पूरा पाइपलाइन जाम हो जायेगी. इसकी सफाई करायी जानी चाहिए थी. अन्य दर्जन भर कमियां गिनायी गयी थीं.
क्यों नहीं हो रहा है कलेक्टरेट रोड का नाला लिंक
पिछले साल शहर में बाढ़ जैसी स्थिति हो गयी थी इसका कारण यह था कि कलेक्ट्रेट रोड में एक पूरब दिशा की ओर से नाला आ रहा है और दूसरी तरफ एक पश्चिम दिशा से नाला आ रहा है. इन दोनों नाले के बीच में कलेक्ट्रेट रोड है. ऐसे में जब नदी में बाढ़ आयी और माॅनसून के दौरान जबरदस्त बारिश होने लगी तो इस नाले से दोनों तरफ से पानी आने लगा नतीजतन पूरा शहर डूब गया था. इस चीज को खुद जिलाधिकारी और अन्य अधिकारियों ने देखा था और नगर निगम ने इसके लिए बुडको जिम्मेदार ठहराया था. बुडको ने रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था. आज तक नाला का कनेक्शन नहीं हो पाया.
क्या कहते हैं महापौर
मेरे द्वारा अधिकारियों की टीम के साथ निरीक्षण किया गया था. इसमें बुडको की लापरवाही सामने आयी थी. अब यदि बुडको और आरसीडी नाले को लिंक नहीं करता है तो नगर निगम अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए खुद पहल करेगा.
बोले बुडको के इंजीनियर
आनंद मोहन सिंह, सहायक अभियंता, बुडको
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