डोरीगंज. एक टूटा-फूटा रिक्शा, एक पेड़ की छांव और उसके नीचे सिमटी चार जिंदगियां… न दीवार, न छत, न सुरक्षित आश्रय, कल 14 जुलाई के अंक में प्रभात खबर में प्रकाशित यह मार्मिक चित्र अब धीरे-धीरे राहत की ओर बढ़ रहा है, जब संवेदना व्यवस्था तक पहुंची. एक पेड़ की छांव तले जीवन बीता रहीं चार जिंदगियां शीर्षक से प्रकाशित इस खबर ने उस मौन को तोड़ा, जो अब तक इस पीड़ित परिवार के इर्द-गिर्द पसरा था. रिपोर्ट प्रकाशित होने के तुरंत बाद सदर बीडीओ विनोद आनंद ने संवेदनशीलता दिखायी और परिवार की स्थिति को देखते हुए त्वरित कार्रवाई की. बीमारी और लाचारी से जूझ रहे शिवनाथ महतो के पैरों में फैले संक्रमण को देखते हुए प्रखंड स्वास्थ्य प्रभारी के निर्देश पर एक पीएचसी कर्मी मौके पर भेज पीड़ित का प्राथमिक उपचार शुरू किया गया है. ड्रेसिंग, दवाइयों और निगरानी की व्यवस्था की गयी है. बीडीओ ने यह निर्देश दिया है कि जब तक वह पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो जाते, तब तक नियमित चिकित्सा देखरेख जारी रखी जाये. वहीं, परिवार की दयनीय स्थिति को देखते हुए बीडीओ श्री आनंद ने बुनियाद केंद्र प्रबंधक से संपर्क कर शिवनाथ महतो एवं उसकी पत्नी ज्ञानती देवी और दो मासूम बच्चों के लिए रैन बसेरा केंद्र में सुरक्षित आश्रय और भोजन की अस्थायी व्यवस्था सुनिश्चित करवायी है. अब यह परिवार पेड़ की छांव से हटकर एक ऐसे स्थान पर रहेगा, जहां कम से कम बुनियादी जरूरतें पूरी हो सकें. साथ ही उन्होंने यह भी आश्वस्त दिया है कि परिवार को जल्द ही सरकारी योजनाओं के लाभ के साथ बच्चों की शिक्षा-सहायता जैसी योजनाओं से भी जोड़ा जायेगा.
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