छपरा. प्रकृति की पूजा और उसकी परंपराओं के तहत वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है. देशभर की तरह सारण के सभी पंचायतों और गांवों में सोमवार को सुहागिन महिलाओं ने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए वट सावित्री व्रत उत्साहपूर्वक मनाया गया. महिलाएं वट वृक्ष के नीचे बैठकर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की, मौली धागा बांधा और अपने पति की दीर्घायु की मंगलकामना की. यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को रखा जाता है और इसे अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है. नगर पंचायत सहित ग्राम पंचायतों के रामघाट, दरियापुर, डेरनी, खानपुर, पिरारी, सूतिहार, तरैया, मशरक जैसे अनेक क्षेत्रों में पूजा का आयोजन श्रद्धालु महिलाएं बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ कर रही थीं. मंदिर परिसर और वट वृक्ष के पास मेलों जैसा वातावरण था. महिलाएं शाम तक पूजा-अर्चना में लगी रहीं. पौराणिक कथा के अनुसार माता सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे अपने पति सत्यवान को यमराज से पुनः प्राप्त किया था. इसी कारण वट सावित्री व्रत का धार्मिक महत्व अत्यंत बड़ा माना जाता है. तरैया के रामबाग संकट मोचन घंटी बाबा मंदिर, बेनीपुरी बाबा मंदिर परिसर सहित कई स्थलों पर पुजारियों ने मंत्रोच्चार के बीच विधिवत पूजा करायी. पुजारी मुन्ना बाबा, सुधांशु तिवारी और आचार्य सुनील कुमार तिवारी ने बताया कि इस व्रत का पालन पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए किया जाता है. महिलाएं तीन दिन तक व्रत रखकर कथा श्रवण करती हैं और अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं. सारण में वट सावित्री व्रत परंपरा आज भी पूरे श्रद्धा और निष्ठा से निभायी जा रही है.
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